छत्तीसगढ़ में कांकेर में नाबालिग छात्राओं के साथ हुए बलात्कार के बाद प्रदेश भर में नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया जा रहा है. राजनैतिक दलों से लेकर सामाजिक संगठन सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं.
नाबलिगों के साथ रेप के मामले में छत्तीसगढ़ टॉप फाइव राज्यों में शामिल हो गया है. एनसीआरबी के ताजा आकड़ों के मुताबिक वर्ष 2012 में नाबलिगों के साथ हुए रेप के मामलो में मध्यप्रदेश अव्वल नम्बर पर है. यहां एक साल में 1262 मामले दर्ज किये गये हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश 1088, माहाराष्ट्र 818, आंध्रप्रदेश 646 और 477 मामले दर्ज होने पर छत्तीसगढ़ पांचवें नम्बर पर है.
इसके अलावा महिला अत्याचारों को लेकर छत्तीसगढ़ देश में तीसरे नम्बर पर है. राज्य में 2012 में महिलाओं की शिकायतों पर कुल 4219 अपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये. इनमे बलात्कार के 1053, अपहरण के 365, छेड़छाड़ के 1654, यौन उत्पीड़न के 174 और दहेज प्रताड़ना के 104 मामले दर्ज किये गये.
कांकेर में 11 नाबालिक छात्राए बलात्कार का शिकार हुई हैं. इसके अलावा राज्य के चार सरकारी अस्पतालों में यौन शोषण की शिकार 6 नाबालिग लड़कियां भर्ती हैं. ग्रामीण अंचलों में जंगलों के भीतर बने स्कूलों और आबादी से दूर बनी पाठशालाओं में पढ़ने वाली छात्राओं की सुरक्षा को लेकर लोग चिंतित हैं.
जिस तेजी से नाबालिग छात्राओं के यौन शोषण के मामले बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए कानून में संशोधन की मांग भी उठ रही है. समाज शास्त्रियों का मत है कि नाबालिग छात्राओं के साथ होने वाले यौन अपराधों को गंभीर अपराधों की श्रेणी में लाकर मृत्यु दंड का प्रावधान होना चाहिए. स्कूली बच्चों को सुरक्षा दे पाने के मामले में भी राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया जा रहा है.