राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संघ कोई सैन्य संगठन नहीं है, बल्कि एक पारिवारिक माहौल वाला समूह है. संघ एक अखिल भारतीय संगीत विद्यालय नहीं है. इसमें मार्शल आर्ट कार्यक्रम होते हैं, लेकिन संघ न तो अखिल भारतीय जिम है और न ही मार्शल आर्ट क्लब. कभी-कभी संघ को अर्धसैनिक बल के रूप में वर्णित किया जाता है, लेकिन संघ सैन्य संगठन नहीं है.
भागवत गुरुवार को शुरू हुए घोष शिविर को संबोधित करने के लिए शुक्रवार रात ग्वालियर पहुंचे थे. इस दौरान आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ एक पारिवारिक माहौल वाला समूह है. भागवत यहां संघ के मध्य भारत प्रांत के चार दिवसीय घोष शिविर के समापन समारोह में बोल रहे थे. विख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान और अन्य लोग समापन समारोह में शामिल हुए.
नुकसान की भरपाई करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश संगीत को मनोरंजन मानते हैं. इसे वहां रोमांच के लिए समझा जाता है, लेकिन भारत में संगीत आत्मिक शांति के लिए है. यह एक ऐसी कला है, जो मन को शांत करती है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भले ही भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन देश को कुप्रबंधन और लूट से हुए नुकसान की भरपाई करने की जरूरत है. यह काम समाज का है.
उन्होंने कहा कि हमें 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी, लेकिन इसके लिए संघर्ष 1857 में शुरू हुआ था. एक विचार पैदा हुआ कि हम अपने घर पर एक विदेशी शक्ति से हार गए और चीजों को सीधा करने के प्रयास शुरू किए गए. एक निरंतर राजनीतिक और सामाजिक सुधार कार्य हुआ और हमें स्वतंत्रता मिली.
उन्होंने कहा कि देश के निर्माण के लिए और प्रयासों की जरूरत है. जिस कुप्रबंधन और लूट से नुकसान हुआ. उसकी भरपाई के लिए कम से कम 10-12 साल लगेंगे.
उन्होंने कहा कि राजनेताओं, सरकार और पुलिस द्वारा लाया गया परिवर्तन कुछ ही समय तक रहता है. यदि इसे समाज का समर्थन नहीं मिलता है. भागवत ने देश की दिशा बदलने के लिए मूल्य आधारित समाज के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि संघ यह काम कर रहा है, जिसके लिए समाज के विश्वास की जरूरत है.
शिविर में 500 से अधिक वादकों ने भाग लिया
आरएसएस मध्य भारत के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि शिवपुरी लिंक रोड स्थित स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर में संगीत बैंड शिविर का समापन हुआ. शिविर में आरएसएस के मध्य प्रदेश भारत प्रांत (ग्वालियर और भोपाल संभाग सहित) के 31 जिलों से आए 500 से अधिक वादकों ने भाग लिया. पिछले हफ्ते भागवत ने छत्तीसगढ़ में बैंड के सदस्यों द्वारा संगीत वाद्ययंत्रों के प्रदर्शन के कार्यक्रम 'घोष दर्शन' में भाग लिया था.
आरएसएस के पदाधिकारी विनय दीक्षित ने कहा कि आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था, जबकि इसकी संगीत शाखा 1927 में बनी थी. अभ्यास के दौरान शाखाओं में संगीत बैंड, विशेष रूप से ड्रम का उपयोग किया जाता है.