मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में 15वीं विधानसभा के लिए चुनाव होंगे. सत्ता पर काबिज होने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-कांग्रेस पूरी ताकत से चुनावी रण में उतर चुकी हैं. दोनों ही दलों के चुनावी वार रूम में हरा-जीत के फार्मूले पर मंथन चल रहा है. इसी क्रम में शहडोल जिले में कोतमा विधानसभा सीट पर राज्य के दोनों मुख्य दल खम ठोंकने में जुटे हुए हैं.
कोतमा विधानसभा सीट पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की रही है. 1957 में जब यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी, तब से लेकर अब तक ज्यादातर यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. वर्ष 1957 में इस सीट से कांग्रेस के हरि राज कंवर विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस के मनोज कुमार अग्रवाल 1,42,751 कुल मतों में से 38,319 वोट यानी 36.87 प्रतिशत मतों के साथ जीत सुनिश्चित करने में कामयाब रहे थे. जबकि भाजपा के राजेश सोनी 36,773 मतों मतलब 35.38 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
इस बार कांग्रेस विशेष रणनीति के तहत राज्य में काम कर रही है. पार्टी का पिछले चुनाव में बेहद कम अंतर से हारने वाली सीटों पर विशेष फोकस है. भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली सीटों पर कांग्रेस ने विशेष अभियान चलाया हुआ है. साथ ही वह समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन की दिशा में बढ़ने की बात कर रही है. अगर यह मुमकिन हो पाया तो वह भाजपा के सामने बड़ी चुनौती पेश करेगी.