मध्य प्रदेश से बाल विवाह के हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रुढ़िवादी सोच और जागरूकता में कमी के कारण मध्य प्रदेश में लड़कियों की तुलना में लड़कों के बाल विवाह का रझान ज्यादा पाया गया है.
राज्य सरकार ने पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे लड़कियों के साथ लड़कों के बाल विवाह रोकने के समान प्रयास करें. प्रदेश के महिला सशक्तिकरण विभाग की आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने सभी जिलाधिकारियों और अन्य आला अफसरों को जारी निर्देशों में 2012-13 के वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के हवाले से कहा है कि राज्य में लड़कियों के मुकाबले लड़कों के बाल विवाह का प्रतिशत ज्यादा है. ऐसे में लाडो अभियान के तहत लड़कों और लड़कियों, दोनों के बाल विवाह रोकने के लिए समान प्रयास किये जाने की जरूरत है.
इन निर्देशों में यह भी कहा गया कि राज्य में 21 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर सामूहिक विवाह के कई आयोजन होने हैं. ऐेसे आयोजनों में बाल विवाह की आशंका रहती है. लिहाजा, निगरानी बढ़ाकर बाल विवाह रोकने के लिये सघन अभियान चलाया जाए.
2012-13 के वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक प्रदेश में 10.6 फीसदी लड़कियां बालिका वधू बनीं, जबकि 21.3 फीसद लड़कों को 21 साल की तय कानूनी उम्र से
पहले ही दूल्हा बनाकर उन पर घर-गृहस्थी का बोझ डाल दिया गया. वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के ये चौंकाने वाले आंकड़ें मध्य प्रदेश में साल 2009 से 2011 के बीच हुई
शादियों पर आधारित हैं.
इनपुट-भाषा
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