मध्यप्रदेश में आज (8 दिसंबर) हुई कैबिनेट बैठक में शिवराज सरकार ने पूर्व की कमलनाथ सरकार का वो फैसला पलट दिया है, जिसमें मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होना तय किया गया था. कैबिनेट बैठक में तय किया गया है कि अब मध्यप्रदेश में मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे यानी अब जनता सीधे मेयर चुन सकेगी.
बता दें कि इसके लिए अध्यादेश आ चुका है, अब विधानसभा में बिल प्रस्तुत किया जाएगा. वार्डों का निर्धारण भी अब पूर्व के अनुसार होगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इससे अब मतदाता अध्यक्ष और महापौर के लिए सीधे वोट डाल सकेंगे.
मालूम हो कि बीते साल कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने मेयर का चुनाव 'अप्रत्यक्ष प्रणाली' से कराने का फैसला लिया था. सितंबर 2019 में कैबिनेट बैठक के दौरान कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव को मंजूरी दी थी. एक्ट में बदलाव के बाद राज्य में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर यानी प्रत्यक्ष प्रणाली से नहीं बल्कि पार्षद ही अपने बीच से मेयर और नगर निगम के अध्यक्ष का चुनाव कर सकते थे. इसके तहत मेयर और नगर निगम अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के मतों पर होता यानी जिस राजनीतिक दल के पार्षद ज्यादा होंगे उनका ही मेयर चुना जाएगा.
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लेकिन अब इस फैसले को पलट दिया गया है यानी मध्यप्रदेश में मेयर और अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन पहले जैसी स्थिति में ही होंगे. शिवराज सरकार इसके लिए बाकायदा अध्यादेश भी ला चुकी है.
इन सबके अलावा शिवराज कैबिनेट में गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल एवं शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के निर्माण कार्यों की पुनरीक्षित राशि की स्वीकृति प्रदान की गई. कोविड अवधि में बियर बारों को निर्धारित न्यूनतम शुल्क में छूट, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम को कुछ सड़कों पर यूजर फ्री टोल प्लाजा प्रारंभ करने आदि प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी गई. ग्लोबल स्किल पार्क का विकास प्राथमिकता से किया जाएगा. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग में विकास के लिये बनी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से किया जाएगा.
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