मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, टैक्स में छूट और अन्य सहायता का लाभ उठाने वाले उद्योगों के लिए 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देना अनिवार्य कर दिया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी. हालांकि बीजेपी ने सवाल पूछा है कि उद्योग ही नहीं तो नौकरी कैसे दोगे?
मध्य प्रदेश सरकार के फैसले के मुताबिक राज्य में लगने वाले उद्योगों में 70 फीसदी स्थानीय यानी मध्य प्रदेश के मूल निवासी होना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत अब शासकीय योजनाओं, टैक्स में छूट का फायदा उद्योगपति तभी उठा पाएंगे जब वो 70 फीसदी रोजगार मध्य प्रदेश के लोगों को देंगे. लेकिन मध्य प्रदेश के बाहर से आकर पढ़ने और नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को ये फैसला रास नहीं आ रहा.
हरियाणा के रेवाड़ी से भोपाल में आकर रह रही सिमरन का कहना है कि वो पिछले 2 साल से यहां रहकर पढ़ाई कर रही हैं, इस उम्मीद के साथ कि यहीं नौकरी मिले. लेकिन इस फैसले से उन्हें मध्य प्रदेश में नौकरी मिलने के आसार कम हो गए हैं. वहीं दिल्ली से आकर भोपाल रह रहे साकिब का मानना है कि ये संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ है.
मध्य प्रदेश के लोगों को मिले प्राथमिकता- कांग्रेस
कमलनाथ सरकार में मंत्री जयवर्धन सिंह का कहना है कि ये एक बड़ा मुद्दा था और इसलिए कांग्रेस ने वचनपत्र में इसे शामिल किया था. 'आजतक' से बात करते हुए मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि 'ये मुद्दा बहुत अहम था खासतौर पर मध्य प्रदेश के रहने वाले लोगों के लिए जो शुरू से यहीं रहे हैं, उनको प्राथमिकता मिलनी ही चाहिए'.
पहले उद्योग तो आए- बीजेपी
वहीं बीजेपी ने कमलनाथ सरकार के इस फैसले पर तंज कसते हुए कहा है कि सरकार पहले उद्योग धंधे तो लगाए. स्थानीय लोगों को आरक्षण तो उसके बाद ही दे पाएंगे. मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पूछा है कि उद्योग है ही कहां? पहले वो ये बताएं कि जो दावोस गए थे तो कितना निवेश लाए? जब उद्योग ही नहीं तो रोजगार कैसे देंगे?
आपको बता दें कि पिछले साल 17 दिसंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद कमलनाथ ने भोपाल में कहा था कि बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों के कारण मध्य प्रदेश में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती. इसके बाद काफी विवाद हुआ था लेकिन उसके बाद भी कमलनाथ सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं हटाए और वचनपत्र में किया एक और वचन पूरा किया.