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MP: स्कूल फीस बढ़ाने को लेकर सरकार से ठनी, प्राइवेट स्कूलों ने दी बंद करने की धमकी

सरकार ने ट्यूशन फीस के अलावा दूसरी फीस नहीं लेने का आदेश निकाला है तो वहीं प्राइवेट स्कूल संचालकों ने साफ कह दिया है कि ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेने की भी इजाजत दी जाए. प्राइवेट स्कूल संचालको ने गुरुवार को सरकार के सामने अपनी 8 मांगें रखी.

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मध्यप्रदेश सरकार और निजी स्कूलों में ठनी (फोटो- आजतक)
मध्यप्रदेश सरकार और निजी स्कूलों में ठनी (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ट्यूशन फीस बढ़ाने को लेकर ठनी
  • प्रदेश सरकार ने फीस नहीं बढ़ाने को कहा है

मध्यप्रदेश में निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने आ गए हैं. सरकार ने गुरुवार को आदेश निकाला है कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई फीस आगामी आदेश तक नहीं जमा करनी होगी. वहीं प्राइवेट स्कूल संचालकों ने चेतावनी दी है कि उन्हें ट्यूशन फीस के साथ-साथ अन्य शुल्क जैसे एनुअल फीस और स्कूल डेवलपमेंट फीस वसूलने की इजाज़त दी जाए, नहीं तो 12 जुलाई से प्रदेश के स्कूल विरोध स्वरूप बंद कर दिए जाएंगे. 

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दरअसल, गुरुवार शाम स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्राइवेट स्कूल, ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई फीस नहीं लेंगे. इसके साथ ही शैक्षणिक सत्र 2021-22 में आगामी आदेश तक कोई फीस वृद्धि भी नहीं करेंगे. शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए यदि किसी स्कूल द्वारा फीस वृद्धि की गई है तो ऐसी वृद्धि के द्वारा एकत्र की गई फीस को संबंधित छात्रों की आगामी देय फीस से पूरा किया जाएगा. 

स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर्स, सभी संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है. 

और पढ़ें- झारखंड में निजी स्कूल वसूल रहे मनमानी फीस, अभिभावकों ने किया हल्ला बोल

प्राइवेट स्कूल संचालकों की चेतावनी

सरकार ने ट्यूशन फीस के अलावा दूसरी फीस नहीं लेने का आदेश निकाला है तो वहीं प्राइवेट स्कूल संचालकों ने साफ कह दिया है कि ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेने की भी इजाजत दी जाए. प्राइवेट स्कूल संचालको ने गुरुवार को सरकार के सामने अपनी 8 मांगें रखी और चेतावनी दी है कि मांग नहीं मानी गई तो 12 जुलाई से प्रदेश के सभी निजी स्कूल बंद कर दिए जाएंगे और ऑनलाइन क्लास भी नहीं ली जाएगी. 

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क्या है प्राइवेट स्कूल संचालकों की मांग

1. कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के चलते स्कूल बंद रखे जाने का बगैर सोचे समझे लिये गया निर्णय तत्काल वापस लें.
2.चूंकि शिक्षा हमेशा से सरकार हेतु प्राथमिक विषय रहा है इसलिए 
(A). प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों हेतु आर्थिक पैकेज घोषित किया जाये, जिसके अन्तर्गत उनके द्वारा लिए गए ऋण पर लगने वाले ब्याज की प्रतिपूर्ति हो सके और वे दिवालिया होने से बच सकें
(B). सभी शिक्षण संस्थानों के बिजली बिल उपयोग के अनुसार लेते हुए पुराने बिल समायोजित किये जायें
(C). भू व्यपवर्तन कर, संपत्ति कर, स्कूल के वाहनों का रोड टैक्स एवं परमिट शुक्ल वर्ष 20-21 एवं 21 -22 हेतु शून्य किए जाएं.
(D). RTE के अंतर्गत प्रवेशित विद्यार्थों के शिक्षण सत्र 20 - 21 तक की बकाया शुक्ल की प्रतिपूर्ति शीघ्र की जाए.

  
3. केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में जारी दिशानिर्देशों / SOP के अनुसार कक्षा नौंवी से बारहवीं के स्कूल तुरंत खोले जाएं. कक्षा 9 वीं से 12वीं की कक्षाओं के सफलतापूर्वक संचालन के आधार पर अन्य कक्षाएं भी खोली जाएं.

4. शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत जैसे स्कूल बच्चों की नियमित शिक्षा देने हेतु बाध्य हैं. उसी प्रकार माता-पिता को भी अपने बच्चे की निर्बाध शिक्षण हेतु स्कूल की फीस भुगतान हेतु आदेश जारी होना चाहिए. साथ ही यदि वे जानबूझकर स्कूल फीस के भुगतान में देरी/आनाकानी करते हैं तो उन्हें विलम्ब शुल्क देने हेतु बाध्य किया जाना चाहिए.

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5. मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा मार्च में नोटिस जारी किया गया था कि कोई भी स्कूल बिना टीसी के किसी अन्य बच्चे को प्रवेश नहीं देगा. परंतु कई निजी एवं सरकारी विद्यालय बिना टीसी के बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं. ऐसे स्कूलों पर शिक्षा विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए. 

6. राज्य सरकार एवं माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार जो पालक अपने बच्चों का शिक्षण शुक्ल अभी भी जमा नहीं कर रहे है उन्हें अगली कक्षा में किसी भी सूरत में प्रमोट नहीं किया जाना चाहिए.

7. सरकार प्राइवेट स्कूल संचालकों के साथ मिलकर मंथन करे साथ ही निजी स्कूलों के बारे में निर्णय लेते समय निजी स्कूल एसोसिएशन को निर्णय लेने की प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए. ताकि प्रदेश में विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की अकादमिक क्षति ना हो. 

8. माध्यमिक शिक्षा मंडल से संबद्धता प्राप्त स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण 5 वर्ष के लिए कर दी जाए, जिसकी घोषणा माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा पूर्व में ही की जा चुकी है.

प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि स्कूल फीस जमा नहीं होने से प्रदेश के हज़ारों शिक्षण संस्थान भयंकर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं. उनकी व्यस्थाएं चरमरा चुकी हैं. इन संस्थाओं से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े प्रदेश के 15 लाख परिवारों के समक्ष जीवनयापन का संकट उत्पन्न हो गया है.

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निजी स्कूल प्रबंधन का कहना है कि यदि सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है और निजी स्कूलों को आर्थिक पैकेज देने में असमर्थ है तो कम से काम सभी निजी विद्यालयों को सत्र 21-22 में शिक्षण शुल्क के साथ-साथ अन्य शुल्क जैसे वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क, इत्यादि लेने की अनुमति दी जाए. यदि सरकार हमारी मांगों पर यथोचित निर्णय नहीं लेती है तो 12 जुलाई 2021 प्रदेश के सभी निजी विद्यालय अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिए जायेंगे. 

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