अभी तक आपने स्वच्छ भारत अभियान के तहत नेताओं को झाड़ू लगाते खूब देखा होगा लेकिन मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के एक मंत्री ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए खुद गंदे नाले में उतरकर सफाई की. दरअसल, रविवार को मध्यप्रदेश के खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर के बिरला नगर इलाके में पहुंचे जहां उन्हें शिकायत मिली कि इलाके के एक गंदे नाले में इतनी गाद हो गयी है कि पानी बैक मारने के चलते कई बार कॉलोनी में गन्दा पानी सड़कों पर बहने लगता है.
इसके बाद मंत्री तोमर खुद नाले में उतरे और फावड़े से नाले की गाद निकालने लगे. एक मंत्री को कमर तक नाले में डूब गंदगी हटाते देख इलाके के अन्य लोग भी आगे आये और सफाई में मंत्री का सहयोग किया. आपको बता दें कि प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पहली बार इस तरह सफाई नहीं की है. हाल ही में प्रद्युम्न तोमर ग्वालियर के एक इलाके में नाली में उतरे में थे और नाली साफ की थी जिसकी सबने तारीफ की थी. वहीं दो दिन पहले तोमर ने ग्वालियर रेलवे स्टेशन में जाकर शौचालय भी साफ किया था.
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मंत्री तोमर पर सवाल भी उठे
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भले ही खुद नाले में उतर सफाई की कमान संभाली लेकिन उनके इस कदम को विशेषज्ञों ने गलत उदाहरण भी बताया है. विशेषज्ञों के मुताबिक मंत्री चाहते तो यहां बकायदा निगम अधिकारियों को बुलवाकर सफाई कर्मियों के जरिए नाला साफ करवा सकते थे.
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वहीं मंत्री ने बिना किसी ग्लव्स या बूट के नाले में उतर एक और गलत उदाहरण पेश किया क्योंकि देश भर में इन दिनों वैसे भी नालों और सीवर की इंसानों द्वारा सफाई पर बहस छिड़ी हुई है. वहीं मंत्री के इस कदम से आम धारणा यही बन रही है कि सरकारी विभाग ठीक से काम नहीं कर रहा इसलिए मंत्री को खुद नालियों और नालों में उतर सफाई करनी पड़ रही है.