पप्पू, फेंकू, बंटाधार, मामू जैसे तमाम वह शब्द जो नेताओं के बयानों को धार देते थे, उन्हीं शब्दों को अब एमपी विधानसभा में माननीय अपनी जुबान पर नहीं ला पाएंगे. मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आगामी मॉनसून सत्र के लिए ऐसे करीब 200 शब्दों की सूची तैयार करवाई है. जिसे सदन में बोलने पर मनाही रहेगी. जल्द ही विधायकों को ऐसे शब्दों की सूची उपलब्ध करा दी जाएंगी.
मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब सदन शुरू होने से पहले ही विधायकों को बता दिया जाएगा कि सदन के भीतर उन्हें कौन कौन से शब्दों को बोलने से बचना है. 9 अगस्त से मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की मानें तो इस बार लोकसभा की तर्ज पर मध्यप्रदेश विधानसभा में ऐसे शब्दों की एक डिक्शनरी बनवाई गई है जिसमे पप्पू, फेंकू, नालायक, गधा जैसे करीब 200 शब्द हैं जो सदन के भीतर असंसदीय माने जाते हैं.
अभी तक होता यह था कि विधायक कई बात उत्तेजित होकर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर लेते थे जिसे सदन की कार्रवाई से हटाना पड़ता था. लेकिन अब हम विधायकों को पहले ही इसकी जानकारी देंगे कि उन्हें कौन से शब्दों का इस्तेमाल सदन के भीतर नहीं करना है. पिछले कुछ सालों से चलन में रहे इन शब्दों को भूल पाना माननीयों के लिए इतना आसान नहीं है.
यही वजह है कि सत्र के पहले मर्यादित भाषा के लिए विधायकों-मंत्रियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में विधानसभा अध्यक्ष खुद बताएंगे कि सदन की कार्यवाही के दौरान कैसा व्यवहार करना है और किन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना है.
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एमपी विधानसभा में विधायकों को लेकर इस नई गाइडलाइन पर बीजेपी और कांग्रेस के विधायक स्वागत तो कर रहे हैं. लेकिन एक दूसरे की पार्टी पर सियासत भी करते नजर आ रहे हैं. एक तरफ बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा यह कह कर कांग्रेस पर तंज कस रहे हैं कि जिन शब्दों पर विधानसभा में पाबंदी लगा दी गई है वो तो अब हर किसी की जुबान पर भी चढ़ गए हैं. ऐसे में कोई कैसे नहीं समझेगा कि पप्पू कौन है?
तो वहीं कांग्रेस विधायक इन असंसदीय और अमर्यादित शब्दों का जनक बीजेपी को ही बता रहे हैं. कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि अगर विधायको के अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल पर सजा का भी प्रावधान होता तो बेहतर होता क्योंकि ऐसे शब्दों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल तो खुद बीजेपी के विधायक ही करते रहे हैं.