कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों को संक्रमित होने से बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. एमपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने उन माता-पिता को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देने का फैसला लिया है, जिनके बच्चों की उम्र 12 साल से कम है. सीएम शिवराज का कहना है कि माता-पिता वैक्सीनेट हो जाएंगे तो वो संक्रमण से मुक्त रहेंगे और बच्चों की देखभाल करते रहेंगे.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'अगर किसी बच्चे को संक्रमण हुआ तो उसके साथ माता या पिता का रहना बहुत जरूरी है. इसलिए उनका टीकाकरण हो जाएगा तो वो संक्रमण से मुक्त रहेंगे और अपने बच्चों की देखभाल करते रहेंगे.'
अभी एमपी में 18 से 44 साल के लोगों को टीका लगवाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. ऐसे में अभी ये साफ नहीं है कि 12 साल के उम्र के बच्चों के माता-पिता को वैक्सीन कैसे लगाई जाएगी और इसके लिए उन्हें क्या प्रूफ दिखाना होगा कि उनके बच्चे 12 साल से छोटे हैं. सरकार ने फिलहाल ये साफ नहीं किया है कि इसके लिए क्या रास्ता निकाला गया है.
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इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि 'मेरे ध्यान में ये तथ्य भी आया है कि मध्य प्रदेश के कई बेटे बेटियां शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेशों में भी जाते हैं. इसलिए हमने ये फैसला भी किया है कि जिन बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश जाना है उनको भी प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाएंगे ताकि वो सुरक्षित विदेश जा सकें और शिक्षा प्राप्त कर सकें'.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अबतक 1 करोड़ 17 लाख 43 हज़ार से ज्यादा वैक्सीन डोज़ दिए जा चुके है. इनमें से 8 लाख 76 हजार से ज्यादा हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर हैं जिन्हें पहला डोज़ दिया जा चुका है जबकि 6 लाख 12 हज़ार से ज्यादा को दूसरा डोज़ दिया जा चुका है. इसके अलावा 18 से लेकर 44 साल तक की उम्र वाले 23 लाख 88 हज़ार लोगो को टीका लगाया जा चुका है. 45 से ऊपर की उम्र वाले 66 लाख 59 हज़ार से ज्यादा लोगों को वैक्सीन का पहला डोज़ दिया जा चुका है.