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MP: इनामी डकैत के डेथ सर्टिफिकेट में फंसा ऐसा पेच, 5 साल से भटक रही है पत्नी

आतंक का पर्याय कहे जाने वाले गड़रिया गिरोह के सदस्य रहे चंदन गड़रिया के एनकाउंटर के बाद उसका मृत्यु प्रमाण पत्र तीन पंचायतों की सीमाओं में उलझा हुआ है. नतीजा ये है कि विधवा पेंशन जैसी सरकारी योजना लाभ लेने के लिए डकैत की पत्नी गीता पाल मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पांच साल से भटक रही है.

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विवाद में उलझा इस इनामी डकैत की मौत का मृत्यु प्रमाण पत्र, 5 साल से भटक रही है डकैत की पत्नी.
विवाद में उलझा इस इनामी डकैत की मौत का मृत्यु प्रमाण पत्र, 5 साल से भटक रही है डकैत की पत्नी.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इनामी डकैत चंदन गड़रिया का केनवाया के जंगलों में एनकाउंटर
  • करैरा तहसील के मामौनी गांव का था डकैत चंदन गड़रिया
  • पत्नी को पंचायत से समाधान नहीं मिला तो कलेक्टर के पास पहुंची

मध्य प्रदेश के शिवपुरी में आतंक का पर्याय कहे जाने वाले गड़रिया गिरोह के सदस्य रहे चंदन गड़रिया के एनकाउंटर के बाद उसका मृत्यु प्रमाण पत्र तीन पंचायतों की सीमाओं में उलझा हुआ है. नतीजा ये है कि विधवा पेंशन जैसी सरकारी योजना लाभ लेने के लिए डकैत की पत्नी गीता पाल मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पांच साल से भटक रही है. गौरतलब है कि पुलिस ने जनवरी 2016 में 30 हजार के इनामी डकैत चंदन गड़रिया को केनवाया के जंगलों में एनकाउंटर कर मार गिराया था.

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दरअसल, चंदन करैरा तहसील के मामौनी गांव का रहने वाला था. उसकी पत्नी गीता पाल मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पहुंची तो उन्हें कहा गया कि जिस जगह मौत हुई है प्रमाण पत्र भी वहीं बनेगा. जब वह केनवाया पंचायत पहुंची तो यहां पर सीमाओं का पेच उलझ गया. उनसे कहा गया कि एनकाउंटर केनवाया और लोटना ग्रामों के बीच हुआ है. इसके बाद परिजन वहां पहुंच गए. यहां से उन्हें चंदावनी से प्रमाण पत्र बनवाने का कह दिया गया.

इसके बाद जब चंदावनी पहुंचे तो यहां से नावली पंचायत भेज दिया गया. नावली पंचायत ने भी प्रमाण पत्र देने से यह कहकर इंकार कर दिया कि जिस जगह एनकाउंटर हुआ वह हमारी पंचायत की सीमा में नहीं है और अब लोटना और केनवाया पंचायत विस्थापित हो चुकी हैं. इसके बाद तहसीलदार, एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक के सामने परिवार विधवा पेंशन और अन्य योजनाओं के लिए गुहार लगा चुका है, लेकिन 5 साल बीतने के बाद कोई सुनवाई नहीं हुई है.

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चंदन की पत्नी गीता पाल का कहना है कि चंदन के साथ पुलिस ने जो किया सो किया, लेकिन अब मेरे पांच बच्चे हैं, कच्चा मकान है. कम से कम गुजारे के लिए विधवा पेंशन और राशन के लिए बीपीएल कार्ड तो दें. गीता ने कहा कि मेरे बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं. बच्ची शादी के लायक हो गई है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. जब हर पंचायत में भटकने के बाद कोई समाधान नहीं मिला तो कलेक्टर के पास आवेदन भी दिया, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली. 

बताया जा रहा है कि चंदन के नाम से पूरा मामौनी गांव कांपता था अब उसकी पत्नी वहां दूसरों के खेतों में मजदूरी कर जैसे तैसे अपने बच्चों को पाल रही है. चंदन गड़रिया की पत्नी गीता पाल का कहना है कि करैरा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का कहना है कि डकैत चंदन गड़रिया का एनकाउंटर पिछोर तहसील में हुआ था, इसलिए उसका मृत्यु प्रमाण पत्र करैरा से ना बनकर पिछोर से ही बनेगा. वहीं, चदन की पत्नी का कहना है कि उसे अब बस सरकार से ही मदद की उम्मीद है.

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