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स्वाइन फ्लू से बचने के लिए टोटकों का सहारा

स्वाइन फ्लू के फैलने से मध्य प्रदेश के लोग भी डरे हुए हैं. बुंदेलखंड में लोगों ने इस बीमारी से बचने के लिए अस्पताल का रुख करने के बजाय टोना-टोटकों का सहारा लेना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि किसी भी धर्म से नाता रखने वाले लोगों के गले में एक ताबीज या कपड़े की छोटी सी पोटली बंधी नजर आ जाएगी.

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स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू के फैलने से मध्य प्रदेश के लोग भी डरे हुए हैं. बुंदेलखंड में लोगों ने इस बीमारी से बचने के लिए अस्पताल का रुख करने के बजाय टोना-टोटकों का सहारा लेना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि किसी भी धर्म से नाता रखने वाले लोगों के गले में एक ताबीज या कपड़े की छोटी सी पोटली बंधी नजर आ जाएगी.

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राज्य में स्वाइन फ्लू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, राजधानी भोपाल से लेकर छोटे शहरों तक में इस बीमारी ने दस्तक दे दी है. अब तक 95 से ज्यादा लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं, जबकि एक हजार से ज्यादा इस बीमारी की गिरफ्त में हैं. सरकार ने तमाम जिलों में इस बीमारी से लोगों को बचाने के लिए खास इंतजाम होने के दावे किए हैं, लेकिन आम लोगों को सरकारी इंतजामों पर भरोसा नहीं है. बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना ऐसे जिले हैं, जहां लोगों ने अस्पताल जाने के बजाय टोटकों को अपनाना शुरू कर दिया है.

छतरपुर के महल इलाके में रहने वाली महिला जरीना इन दिनों देश भर में फैले स्वाइन फ्लू से डरी हुई है और बीमार नहीं होना चाहती हैं. जरीना ने गले में एक ताबीज पहन रखा है. उनका कहना है कि इस ताबीज में इलायची और कपूर को मिलाकर बांधा गया है. उन्हें बताया गया है कि कपूर और इलायची की सुगंध से स्वाइन फ्लू का वायरस असर नहीं करता है. जरीना कहती हैं कि सिर्फ उन्होंने नहीं, उनके परिवार और आसपास के लोगों ने भी इसी तरह का ताबीज पहन रखा है. वह बताती हैं कि अस्पताल जाने पर दवा मिलती नहीं है और वहां के डाक्टर कई तरह के टेस्ट लिख देते हैं.

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नैंसी गोस्वामी के मुताबिक, उसकी स्कूल टीचर ने कहा कि स्वाइन फ्लू से बचना है तो एक कपड़े की पोटरी में कपूर और इलायची बांधकर गले में बांध लो. बस उसके बाद उसने और उसकी दोस्तों ने गले में कपूर और इलायची को ताबीज के तौर पर बांध लिया है. नैंसी बताती है कि अब उसे इस बात का डर नहीं है कि स्वाइन फ्लू हो जाएगा. पहले उसे इस बात का डर था कि स्वाइन फ्लू हो गया तो वह क्या करेगी, मगर अब वह पूरी तरह निश्चिंत है.

हालांकि कई लोग ऐसे हैं जो इन टोटकों को जीवन के साथ खिलवाड़ बता रहे है. परमार्थ संस्था के संजय सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के साथ प्रशासन की यह जिम्मेदारी व जवाबदेही है कि वह लोगों को जागृत करे और लोग टोटके करने की बजाय अस्पताल में जाएं. टीकमगढ़ के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ एके तिवारी ने बताया कि आम लोगों में जागरूकता लाने के लिए विभिन्न संचार मांध्यमों का सहारा लिया जा रहा है. लोगों को बताया जा रहा है कि स्वाइन फ्लू से डरने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, सभी स्वास्थ्य केंद्रों की दीवारों पर भी स्वाइन फ्लू के लक्षण लिखे हैं और ऐसा होने पर अस्पताल में जांच और इलाज कराने का संदेश लिखा गया है. डॉ. तिवारी ने कहा कि यह बात सही है कि कुछ ग्रामीण इलाकों में लोग कपूर व इलायची बांध रहे हैं, मगर ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे हैं और इस तरह की भ्रांतियों में नहीं पड़ रहे.

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-इनपुट IANS से

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