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कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने मध्य प्रदेश को जकड़ना शुरू कर दिया है. हालात यह है कि जिस तेजी से इसके मरीज बढ़े हैं उसी तेजी से इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन बाजार से गायब हो गया है. अब जरूरतमंद दुकान-दुकान भटक रहे हैं लेकिन उसके इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं.
मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीज बढ़ने के साथ ही इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है. मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के अब तक करीब 300 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा मरीज इंदौर और भोपाल में हैं जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. लेकिन अब इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की बाजार में किल्लत हो गई है और मरीजों के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.
बाजार से गायब जरूरी इंजेक्शन
सीहोर के रहने वाले दक्ष्य ताम्रकार इन दिनों एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं. इनके पिता की 17 अप्रैल को कोरोना से मौत हो गई थी और उसके बाद 13 मई को इनकी मां को म्यूकर माइकोसिस डिटेक्ट हुआ. तब से उनका भोपाल के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने इनकी मां के लिए कम से कम 20 एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की जरूरत बताई है लेकिन भोपाल समेत दूसरे शहरों में भी इन्हे इंजेक्शन नहीं मिल पाया है.
आजतक से बात करते हुए दक्ष्य ने बताया कि '8 हजार का इंजेक्शन है और कुल 20 इंजेक्शन लगने हैं. 13 मई से ढूंढ रहा हूं कहीं नहीं मिल रहा, इंदौर, ग्वालियर, भोपाल सब जगह ढूंढ लिया लेकिन नहीं मिल रहा है'.
दर-दर भटक रहे मरीज
कुछ यहीं हाल प्रमोद का भी है जो म्यूकर माइकोसिस से पीड़ित अपने पिता के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन तलाश रहे हैं लेकिन अभी तक उनको निराशा ही हाथ लगी है. उनके पिता की सर्जरी हो चुकी है लिहाजा उनके लिए यह इंजेक्शन जल्द लगना बेहद जरूरी है. प्रमोद बताते हैं कि पिताजी की सर्जरी हो चुकी है लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा है. लगभग सभी दुकानों में पता किया लेकिन यह इंजेक्शन नहीं मिल रहा है, अस्पताल में बात करते हैं तो बताते हैं कि सरकार ने इंजेक्शन देने का बोला है, आते ही पेशेंट को लगा देंगे लेकिन हमारे लिए तो एक एक दिन कीमती है'.
मरीज़ों के परिजनों का दावा है कि मेडिकल दुकानों में कहीं भी ये इंजेक्शन नहीं मिल रहा है, लिहाजा उनके दावों की पड़ताल करने आजतक की टीम भोपाल के एक मेडिकल शॉप पर पहुंची और दुकानदार उमाकांत जैन से एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की उपलब्धता की जानकारी ली. दुकानदार ने बताया कि बाजार में यह इंजेक्शन कहीं भी नहीं मिलेगा क्योंकि इसकी मांग बेहद तेजी से बढ़ी है और नतीजा यह हुआ कि मेडिकल दुकानों पर यह उपलब्ध ही नहीं है.
बतौर उमाकांत जैन उन्हें अपनी दुकान में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन खरीदने आए लोगों को मना करने में बहुत तकलीफ होती है लेकिन मजबूरी में मना करना ही पड़ता है. उन्होने बताया कि 'बहुत बुरा लगता है क्या करें. लोग तो पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं लेकिन कहीं भी ये इंजेक्शन एवेलेबल नहीं है. ऐसे में उन्हें भारी मन से मना करना पड़ता है'
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सरकार ने क्या सफाई दी?
तेजी से मांग को देखते हुए और रेमडेसिविर की तरह इसकी भी कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने अब तैयारी शुरू कर दी है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि 'मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस इंजेक्शन के 24 हजार डोज मप्र को आवंटित करने के लिए केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया से बात की है तो वहीं इस इंजेक्शन को बनाने वाली कंपनी के प्रमुख से बात कर मध्य प्रदेश के लिए 2 हजार इंजेक्शन मंगवा भी लिए गए हैं जो अलग अलग मेडिकल कॉलेजों को दे दिए गए हैं. हम लोग इस व्यवस्था में भी लगे हैं कि जिन निजी अस्पतालों में म्यूकर माइकोसिस का इलाज हो रहा है वहां भी एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन उपलब्ध कराएंगे'.
दरअसल मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज़ों की संख्या को देखते हुए इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉ़लेजों में इसका इलाज शुरू कर दिया गया है लेकिन इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का बाजार में ही ना मिलना बड़ा परेशानी का सबब है.