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मध्य प्रदेश में बच्चे बैल बन खींचते हैं बैलगाड़ी!

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में गरीबी की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां दो बच्चे जो सगे भाई हैं, बैलगाड़ी में बैलों की जगह नथकर बैलगाड़ी खींचते हैं. उनके द्वारा बैल की तरह काम करने से अर्जित की गई कमाई से परिवार का चूल्हा जलता है.

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मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में गरीबी की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां दो बच्चे जो सगे भाई हैं, बैलगाड़ी में बैलों की जगह नथकर बैलगाड़ी खींचते हैं. उनके द्वारा बैल की तरह काम करके मिली कमाई से परिवार का चूल्हा जलता है.

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बुरहानपुर का गांव है चिचाला. यहां के किसान नसीर को अपनी अपनी बेटी की शादी के लिए दो बैल बेचने पड़े थे. खेती है, मगर उसमें अनाज इतना उगता है कि सिर्फ परिवार का पेट ही भरा जा सकता है. वे बताते हैं कि माली आर्थिक स्थिति के चलते पत्ती आदि बेचने शहर जाना पड़ता है.

जानवरों की पत्ती ले जाने के लिए गाड़ी तो है, मगर बैल नहीं. लिहाजा, उनके दो बेटे रहीम और रज्जाक बैल की जगह जुतकर बैलगाड़ी खींचते हैं. ये बच्चे लगभग आठ किलोमीटर गाड़ी खींचते हैं. नसीर की चार बेटियां थीं. तीन बेटियों की शादी में तो जमीन बिकती गई, मगर चौथी बेटी की शादी में बैल जोड़ी बिक गई. उसका कहना है कि उसे मजबूरी में बेटों के जरिए बैलगाड़ी चलवाना पड़ती है.

स्थानीय बीजेपी नेता ने नसीर को एक जोड़ा बैल देने का ऐलान किया है. वहीं, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने नसीर के परिवार को 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद का वादा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार गरीबों की बेटी में मदद का वादा करती है, मगर हकीकत सामने है कि एक पिता को बेटी की शादी के लिए जोड़ा बैल बेचना पड़ा है.

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- इनपुट IANS

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