प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं से बातचीत की. इस संवाद कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के इंदौर से शामिल 12 साल के अवि शर्मा ने प्रधानमंत्री को काफी प्रभावित किया. बाल मुखी रामायण की रचना करने वाले बालक अवि की तुलना पीएम मोदी ने एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से कर दी.
दरअसल, PM ने रामायण के विभिन्न पहलुओं के संबंध में अवि शर्मा से बातचीत की. अवि ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सीरियल रामायण के प्रसारण के फैसले से उन्हें 'बालमुखी रामायण' की प्रेरणा मिली. अवि ने अपनी रचना के कुछ दोहे भी पढ़े. इसी दौरान प्रधानमंत्री ने उमा भारती का जिक्र किया.
पीएम मोदी ने बताया, ''आज से करीब 45-50 साल पहले अहमदाबाद के मणिनगर इलाके में उमा भारती का एक कार्यक्रम था. जब मैं वहां उनको सुनने पहुंचा तो काफी हैरान था, क्योंकि बहुत ही छोटी उम्र की उमा जी धाराप्रवाह प्रवचन दे रही थीं. यही नहीं, वह रामायण की चौपाइयों और संस्कृत शास्त्रों का बहुत ही सटीक रूप में उल्लेख कर रही थीं.''
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की मिट्टी में कुछ ऐसा है जो ऐसी अद्भुत प्रतिभा को जन्म देता है. प्रधानमंत्री ने अवि से कहा कि वह एक प्रेरणा स्रोत हैं और इस बात का सबूत हैं कि बड़े काम करने के लिए कोई उम्र छोटी नहीं होती.
At the age of 12, Avi Sharma is a motivational speaker and has also composed an abridged version of the Ramayana called Bal Mukhi Ramayana!
Congratulations to Avi for winning the Rashtriya Bal Puraskar. pic.twitter.com/MqjJajmeOW
— Narendra Modi (@narendramodi) January 24, 2022
बता दें कि उमा भारती बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री हैं. उनका जन्म मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में साल 1959 में हुआ था. साल 2003 में उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनी थीं. साथ ही वह केंद्र की अटल बिहारी सरकार और मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं.
इंदौर के अवि शर्मा से वर्चुअल संवाद में प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कि आप तो लेखक हैं, बालमुखी रामायण लिखी है, आपका बचपन बचा है या खत्म हो गया? पीएम की इस चुटकी पर अवि ने हंसते हुए कहा, ''ईश्वर के आशीर्वाद से मैं यह सब कर पा रहा हूं.''
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए साल 2022 और 2021 के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) के विजेताओं को डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किए गए. पुरस्कार विजेताओं को प्रमाणपत्र देने के लिए पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. इस अवसर पर केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी और राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई भी उपस्थित थे.