मोदी सरकार के सबसे बड़े प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन में क्या शहरों की रैंकिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश के ग्वालियर निवासी एक शख्स की शिकायत पर किसी और ने नहीं बल्कि खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया है और शहरी विकास मंत्रालय को मध्य प्रदेश में स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में शहरों को दी गयी रैंकिंग की जांच करने के आदेश दिए हैं.
स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में गड़बड़ी
दरअसल, ग्वालियर निवासी संदीप शर्मा ने 'आजतक' से फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने 6 सितंबर 2019 को एक शिकायत पीएमओ को भेजी थी जिसमे उन्होंने 2019 के स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग को लेकर गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए मामले की जांच करने की मांग की थी.
संदीप ने बताया कि अपनी शिकायत के साथ उन्होंने स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 से जुड़े आंकड़ों और मीडिया में आई खबरों की पूरी जानकारी अटैच की थी. संदीप ने प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजी शिकायत में आरोप लगाया है कि देश भर में ओडीएफ डबल प्लस, स्टार रैंकिंग और स्वतंत्र अवलोकन का सर्वे करने वाली कम्पनियों द्वारा रैंकिंग देने में गड़बड़ की गई है.
स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 के आकड़े
दरअसल, स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में देश के 25 सबसे साफ शहरों में से मध्यप्रदेश के आठ शहर इंदौर , उज्जैन, देवास, भोपाल, जबलपुर, सिंगरौली, खरगोन और नागदा ने जगह बनाई थी. इसके अलावा छिंदवाड़ा, नीमच, पीथमपुर ओडीएफ ++ रैंकिंग के साथ ग्वालियर से ज्यादा स्वच्छ माना गया था. संदीप शर्मा का आरोप है कि सफाई में पहले से बेहतर काम करने के बावजूद ग्वालियर स्वच्छ सर्वेक्षण में फिसड्डी साबित हुआ क्योंकि आंकड़ों में हेरफेर किया गया.
'आजतक' से बात करते हुए संदीप शर्मा ने कहा कि इन्ही सब शिकायतों को उन्होंने एक डेटा एनालिसिस रिपोर्ट के साथ पीएमओ को भेजा था और मांग की थी कि इसकी एक उच्च स्तरीय कमिटी से जांच की जाए जिसपर प्रधानमंत्री कार्यालय ने शहरी विकास मंत्रायल के तहत आने वाले स्वच्छ भारत मिशन के अंडर सेक्रेटरी को पत्र लिख जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.