एक जिला बदर अपराधी को पकड़ पाने में नाकामी ने एक नहीं बल्कि दो पुलिस अधिकारियों की जान ले ली. मामला सुनने में जितना अजीब लगता है, यकीन मानिए हकीकत में उससे कहीं ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में पृथ्वीपुर के टीआई और एसडीओपी के बीच शुरुआत तो बातचीत से हुई थी, लेकिन एक के बाद एक चलने वाली चार गोलियों ने खाकी को खून से रंग दिया.
हादसा सोमवार दोपहर एसडीओपी कार्यालय में हुआ, जहां घटना की सूचना मिलते ही जिले भर के पुलिस अधिकारी के अलावा सागर रेंज के आईजी पंकज श्रीवास्तव, डीआईजी छतरुपुर केसीजैन सहित भोपाल और सागर की एफएसएल टीम मौके पर पहुंच गई. मामले की जांच शुरू हुई तो घटना के परतें उधड़ने लगी और फिर जो सच सामने आया वह बीमारी, चिढ़ और कागजी कार्यवाही के बीच सिमट कर रह गई.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, सोमवार दोपहर करीब तीन बजे पृथ्वीपुर के टीआई प्रमोद चतुर्वेदी एसडीओपी कार्यालय पहुंचे. दोनों के बीच एक जिला बदर अपराधाी को पकड़ने में नाकामी और इस बाबत स्पष्टीकरण को लेकर पहले तो कहासुनी शुरू हुई, लेकिन जल्द ही यह गाली गलौच में बदल गई. बताया जाता है कि टीआई प्रमोद चतुर्वेदी ने आवेश में आकर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से एसडीओपी केएस मलिक के सिर में गोली दाग दी. टीआई चतुर्वेदी ने मलिक को एक के बाद एक दो गोलियां और मारी जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. हालांकि इससे पहले कि बाहर तैनात पुलिस के जवान कुछ समझ पाते टीआई प्रमोद चतुर्वेदी ने अपने सिर में भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
परेशान थे टीआई: परिवार
घटना के बाद मौके पर पहुंची भोपाल की आईजी अनुराधा शंकर सिंह ने दोनों शवों को पास्टमार्टम के लिए भेज दिया है, जबकि कार्यालय को सील कर दिया गया है. दोनों मृत अधिकारियों के परिवार को सूचना दे दी गई है. टीआई प्रमोद के परिवार का कहना है की वे एसडीओपी से परेशान थे. एसडीओपी ने प्रमोद से कुछ स्पष्टिकरण मांगे थे, जिसमें जिला बदर अपराधी संजीव रावत को गिरफ्तार ना कर पाना शामिल है. यही नहीं, पिछले दिनों प्रमोद की आंखों का ऑपरेशन भी हुआ था और वह ब्लड प्रेशर और डायबीटिज के भी मरीज थे. ऐसे में संभव है कि डिप्रेशन में आकर उन्होंने गोली चला दी और जब उन्हें इसका भान हुआ तो खुद को भी गोली मार ली.