छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बस्तर के सभी जिलों में चुनाव की तैयारियां जोरों पर है तो दूसरी ओर किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता अंदरूनी इलाकों में प्रचार करने नहीं जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण नक्सलियों की वह धमकी है जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि कार्यकर्ता अगर अंदर आए तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा.
उसका ही नतीजा है कि बीजापुर सुकमा दंतेवाड़ा और नारायणपुर सहित संभाग के सातों जिलों में राजनीतिक दलों का प्रचार प्रसार कस्बाई इलाकों तक ही सीमित रह गया है. अंदरूनी इलाके में ना तो किसी पार्टी के झंडे और ना ही पंपलेट बांट रहे हैं. हालांकि, ग्रामीण यह कह रहे हैं नक्सलियों का खौफ उनके गांव में नहीं है फिर भी राजनीतिक दल के सदस्य अभी तक उन तक क्यों नहीं पहुंच रहे इसका जवाब उनके पास भी नहीं है.
वहीं, दूसरी ओर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में उन्हें भी यह डर है कि कहीं उन पर नक्सली हमला ना हो जाए. बीजापुर के अंदरूनी इलाकों में कार्यकर्ता जाने से डर रहे हैं. वही सुकमा और दंतेवाड़ा सहित संवेदनशील क्षेत्रों में अमूमन स्थिति यही है.
प्रदेश के वन मंत्री और बीजापुर से भाजपा के प्रत्याशी महेश गगडा भी स्वीकारते हैं कि अंदरुनी इलाकों में प्रचार प्रसार करना जोखिम भरा है. लिहाजा कार्यकर्ता अपने स्तर पर लोगों के बीच पहुंच रहे हैं.
कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रम मंडावी का भी मानना है की प्रचार प्रसार करने में खतरा तो है मगर जनता के बीच पहुंचने पर ही उन्हें वोट मिल पाएगा. लिहाजा पैरामिलिट्री फोर्सेस की मदद से ये उन गांव तक पहुंच रहे हैं.
कुल मिलाकर लगातार बस्तर में हो रहे नक्सली हमले को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता या प्रत्याशी उन इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जहां नक्सलियों का एकछत्र राज्य है और नक्सलियों ने भी खुले तौर पर चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर रखा है ऐसे में उन इलाकों में शत प्रतिशत मतदान की उम्मीद भी नहीं की जा सकती.
विधानसभा चुनाव के पहले लगातार हो रहे हमले...
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग से पहले दो नक्सली हमलों से राज्य में खौफ का माहौल है. नक्सलियों ने तीन दिन के भीतर 2 बार बड़े हमले किए. पहले 27 अक्टूबर को बीजापुर में हमला किया गया और फिर दंतेवाड़ा में दूरदर्शन की टीम को निशाना बनाया गया.
आपको बता दें कि 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ में 18 सीटों पर मतदान होना है, ये सभी वही सीटें हैं जहां पर नक्सलियों का प्रभाव रहता है. यही कारण है कि इन इलाकों में सुरक्षा को काफी पुख्ता किया गया है. इसके बावजूद नक्सली अपनी करतूत से बाज नहीं आ रहे हैं.
नक्सली हमेशा से ही लोकतांत्रिक चुनावों का विरोध करते हैं और अब यही कारण है कि वह लोगों को वोट डालने से रोकने के लिए इस प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं.