अदालत ने एक ऐसे शख्स को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है, जिसने गोद ली बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी. मामला इंदौर का है. मामले में विशेष फास्टट्रैक अदालत ने लड़की के चाचा को आज फांसी की सजा सुनायी, जबकि उसकी पत्नी (लड़की की चाची) को उम्रकैद की सजा सुनाई.
अभियोजन पक्ष के सरकारी वकील रवींद्र देसाई ने जानकारी दी कि विशेष फास्टट्रैक अदालत ने मामले में आरोपी आरएस सेंगर (40) को धारा 302 (हत्या), धारा 376 (बलात्कार) और धारा 377 (अप्राकृतिक दुष्कृत्य) के तहत दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई.
सेंगर की 35 वर्षी पत्नी बेबी को धारा 302 (हत्या) और धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत आजीवास कारावास की सजा दी गई है. देसाई ने बताया कि मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 20 गवाह अदालत के सामने पेश हुए. इसकी मदद से सेंगर पर लसूड़िया क्षेत्र में 26 सितंबर 2012 को सात वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म, अप्राकृतिक कृत्य और इसके बाद बेरहमी से पीट-पीटकर उसकी हत्या के जुर्म साबित हुए.
बेबी पर बच्ची के हत्याकांड की साजिश रचने और अमली जामा पहनाने में शामिल होने का आरोप सिद्ध हुआ. सरकारी वकील ने बताया कि बच्ची के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि उसकी मौत शारीरिक प्रताड़ना और मारपीट से हुई थी.
बुरी तरह पीटा था बच्ची को
देसाई ने बताया कि पोस्टमॉर्टम के दौरान बच्ची के अलग-अलग अंगों पर कुल 31 घाव मिले. इनमें से कुछ घाव पुराने भी थे. पोस्टमॉर्टम से पता चला कि हत्याकांड से पहले बच्ची के साथ दुष्कर्म और अप्राकृतिक कृत्य भी किया गया था.
अभियोजन पक्ष के सरकारी वकील ने बताया कि डीएनए परीक्षण से इस बात की तसदीक हुई कि हत्याकांड से पहले मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और अप्राकृतिक कृत्य करने वाला शख्स कोई और नहीं, बल्कि उसका चाचा ही है.
भरोसा में लेकर बच्ची को लिया था गोद
देसाई के मुताबिक बच्ची के असली माता-पिता उत्तर प्रदेश में रहते हैं. बच्ची को उसकी हत्या से करीब चार माह पहले ही उसके चाचा और चाची ने गोद लिया था, क्योंकि उनके दोनों बच्चों की मौत हो गई थी. चाचा-चाची ने बच्ची को गोद लेते वक्त उसके माता-पिता को भरोसा दिलाया गया था कि उसकी बढ़िया परवरिश की जायेगी और उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाया जायेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और सेंगर व उसकी पत्नी ने बच्ची के साथ बुरी तरह मारपीट करने के साथ उसे अमानवीय यातनाएं देना शुरू कर दिया था.