
मध्य प्रदेश के नौ जिलों के वृद्धाश्रमों पर कोरोना महामारी का बहुत बुरा असर पड़ा है. राज्य सरकार वृद्धाश्रम चलाने के लिए हर महीने प्रति व्यक्ति 1000 रुपये मदद के तौर पर देती है, लेकिन इस साल जुलाई से इसे बंद कर दिया गया है. इन नौ जिलों में अधिकांश वृद्धाश्रम उधार के पैसे और उधार के राशन पर चल रहे हैं क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए रियायती राशन की आपूर्ति भी रोक दी गई है.
इसी तरह का सरकारी सहायता प्राप्त एक वृद्धाश्रम मुरैना जिले में है जहां पर छह महिलाएं और सात पुरुष रहते हैं. 13 बुजुर्गों वाले इस वृद्धाश्रम को जुलाई से पीडीएस के तहत राशन नहीं मिला है. आश्रम को सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है, इसलिए अब यह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सार्वजनिक दान लेने पर मजबूर है.
जिला प्रशासन ने सब्सिडी वाले राशन की आपूर्ति नहीं करने के लिए मेनका गांधी वुमेन कोआपरेटिव स्टोर के मैनेजर गिरिराज शाक्य के खिलाफ केस दर्ज किया है. जिसके कारण आश्रम को खुले बाजार से राशन खरीदना पड़ रहा है.
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कोतवाली पुलिस स्टेशन के एसएचओ रामवीर सेतिया ने कहा, “हमें शिकायत मिली थी कि वृद्धाश्रम को पीडीएस दुकान से राशन की आपूर्ति नहीं की जा रही थी, जिसके बाद हमने इस बारे में जांच पड़ताल करके अनियमितताओं का पता लगाया और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया.”
श्योपुर जिले में मौजूद वृद्धाश्रम की हालत इससे अलग नहीं है. प्रेरणा ओल्ड एज होम को पिछले पांच महीनों में सिर्फ एक बार सब्सिडी वाला राशन मिला है. यहां भी आश्रम के अधिकारी खुले बाजार से राशन खरीद रहे हैं क्योंकि पीडीएस सप्लायर का दावा है कि लॉकडाउन के चलते सरकार की ओर से चलाए जा रहे हॉस्टलों और वृद्धाश्रमों में राशन की आपूर्ति रोक दी गई है.
आश्रम के मैनेजर मनोज वैष्णव ने इंडिया टुडे को बताया, “आखिरी बार हमें सितंबर में राशन मिला था. बार-बार पूछताछ करने पर पता चला कि पीडीएस सिस्टम ध्वस्त हो गया है, छात्रावासों और वृद्धाश्रमों को राशन आपूर्ति रोक दी गई है.”
सबसे बुरा हाल अशोक नगर जिले का है जहां जुलाई से ही न तो सरकारी मदद मिली है और न ही पिछले तीन वर्षों से सब्सिडी वाला राशन मिला है. सरकार इन वृद्धाश्रमों को चलाने के लिए मदद के रूप में हर महीने प्रति व्यक्ति 1000 रुपये देती है. इस 1000 रुपये में से 900 रुपये वृद्धाश्रम के खाते में जाते हैं जबकि 100 रुपये वहां रहने वाले बुजुर्गों के खाते में जाते हैं.
ग्वालियर, भिंड, शिवपुरी, गुना, छतरपुर और टीकमगढ़ में वृद्धाश्रमों की वास्तविकता की जांच से पता चला कि उन्हें न तो सरकार से आर्थिक मदद मिल रही है और न ही पीडीएस दुकानों से सब्सिडी पर राशन मिल रहा है.
हालांकि, सामाजिक न्याय मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने स्पष्ट रूप से ऐसी किसी समस्या से इनकार कर दिया. मंत्री ने इंडिया टुडे से कहा, “ऐसी कोई समस्या नहीं है. मुझे ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. सभी को सहायता और सब्सिडी वाला राशन मिल रहा है.”
विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बुजुर्गों और गरीबों को शिवराज सिंह सरकार में हाशिए पर डाला जा रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा, “यह मौजूदा वक्त की कहानी है जहां लगभग हर चीज को खराब किया जा चुका है. कांग्रेस पार्टी इस मामले को उठाएगी और बुजुर्गों के लिए लड़ाई लड़ेगी.”
मध्य प्रदेश में नौ जिलों के वृद्धाश्रम अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और निकट भविष्य में इनकी हालत सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार समस्या को स्वीकार करने की जगह इससे इनकार कर रही है.
(मुरैना से गिरिराज राजोरिया, अशोक नगर से राहुल जैन, श्योपुर से खेमराज दुबे और छतरपुर से लोकेश चौरसिया के इनपुट के साथ.)
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