मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सुराना गांव में हिंदू आबादी ने मुस्लिमों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए सामूहिक पलायन की धमकी दी. हालांकि मामला संज्ञान में आते ही रतलाम से लेकर राजधानी भोपाल तक हड़कंप मच गया. गृहमंत्री ने स्थानीय प्रशासन की टीम को गांव में भेजा और रिपोर्ट ली. इसके बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चेतावनी दी है कि सुराना को एमपी का कैराना (उत्तर प्रदेश) नहीं बनने देंगे.
दरअसल, मंगलवार को सुराना गांव में मुस्लिमों की प्रताड़ना से तंग होकर हिंदुओं ने गांव छोड़ने की चेतावनी दी थी. गांव के हिंदू परिवारों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि वह दुखी हैं, उनको अपनी जन्मभूमि छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है. हिंदू परिवारों को कहना था कि दो पक्षों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि परेशान होकर गांव छोड़ने की नौबत आ गई है, इसलिए सभी हिंदू परिवार सामूहिक पलायन करेंगे.
यही नहीं, गांव के कई हिंदू परिवारों ने अपने घरों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' तक लिखवा दिया था. मामला संज्ञान में आते ही गृहमंत्री के निर्देश पर बुधवार को कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और एसपी गौरव तिवारी सहित अन्य प्रशासनिक अमला सुराना गांव पहुंचा और लोगों को समझाइश दी.
सुराना को कैराना नहीं बनने देंगे: गृहमंत्री
सूबे के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आश्वासन दिया कि किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. हिंदुओं को अपने घर से कोई नहीं निकाल सकता है, क्योंकि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है. किसी भी कीमत पर सुराना को कैराना नहीं बनने देंगे. विवाद की वजह अवैध अतिक्रमण और अन्य स्थानीय छोटे मसले हैं, जिनका शीघ्र निराकरण कर लिया जाएगा. विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक समिति का गठन कर दिया गया है.
गांव में बनाई अस्थाई पुलिस चौकी
गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की है. सुराणा मामले पर बनी समिति में SDM और SDOP के साथ ही दोनों पक्षों के दो-दो प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है. फिलहाल सुराना में अस्थाई पुलिस चौकी बना दी है और एक सब-इंस्पेक्टर समेत 10 पुलिसकर्मियों को वहां पर तैनात कर दिया गया है. वहीं, स्थानीय प्रशासन को असामाजिक तत्वों के खिलाफ जिलाबदर और रासुका के तहत कार्रवाई के आदेश दे दिए गए हैं.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के शामली जिले स्थित कैराना में भी मुस्लिम समुदाय के डर से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठा था. बीजेपी ने इसे 2017 के विधानसभा चुनाव में बड़ा चुनावी मसला बनाया था.