मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक स्कूल में शनिवार को फीस ना दे पाने के कारण 9वीं कक्षा की एक बच्ची को खड़े होकर परीक्षा देने का मामला सामने आया है. मामले की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंची जिसके बाद सीएम ने सम्बंधित विभाग के अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं.
मामला भोपाल के शाहजहानाबाद इलाके के सरस्वती कोएड पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल का है. यहां 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा का आरोप है कि पूरी फीस ना जमा कर पाने के कारण उसे खड़े होकर परीक्षा देने की सज़ा दी गई. छात्रा के मुताबिक उसने शुरुआती दो पेपर तो खड़े होकर दे दिए लेकिन तीसरे पेपर में बैठ कर परीक्षा देने की विनती जब उसने स्कूल के प्रिंसिपल से की तो उन्होंने भी पूरी फीस जमा करने की बात कही. छात्रा का प्रिंसिपल से बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. दरअसल, छात्रा के पिता का आरोप है कि उन्हें 37 हज़ार रुपये स्कूल फीस के जमा करने थे जिसमें से उन्होंने 20 हज़ार रुपये जमा भी कर दिए लेकिन 17 हज़ार रुपये बाकी थे जिसे लेकर स्कूल प्रबंधन ने छात्रा को परीक्षा देने की इजाज़त तो दी मगर शर्त रखी कि छात्रा बैठकर नहीं बल्कि खड़े होकर परीक्षा देगी और इसी के चलते छात्रा को पेपर खड़े हो कर देना पड़ा.
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
ये मामला जैसे ही मुख्यमंत्री कमलनाथ के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए अधिकारियों को मामले की जांच के आदेश दिए. सीएम कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि 'भोपाल के शाहजनाबाद स्थित सरस्वती को एड हायर सेकेंडरी स्कूल में एक 9वी कक्षा की छात्रा को फीस नहीं भर पाने के कारण स्कूल प्रबंधन द्वारा खड़े होकर परीक्षा देने की सजा के मामले के संज्ञान में आने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ में इसे बेहद असंवेदनशील , मानवीय मूल्यों के खिलाफ व गंभीर मामला मानते हुए तत्काल अधिकारियों को पूरे मामले की जांच करने को कहा और पीड़ित छात्रा से चर्चा कर इस पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिए.
फीस नहीं भर पाने के कारण छात्रा को खड़े रहकर परीक्षा देने की सजा का मामला सही पाए जाने पर उन्होने दोषी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिये है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषी पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और ऐसा कृत्य करने वालों को मैं कतई माफ नहीं कर सकता. ऐसे स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई अन्य स्कूल इस तरह का कृत्य ना कर सके.
ज़िला शिक्षा अधिकारी ने लिए बयान
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर जिला प्रशासन भी हरकत में आया और छात्रा के साथ साथ स्कूल के प्रिंसिपल के भी बयान लिए गए. ज़िला शिक्षा अधिकारी धर्मेन्द्र शर्मा के मुताबिक स्कूल के प्रिंसिपल ने बयान में कहा है कि बच्ची ने पेपर बैठ कर दिया है हालांकि प्रिंसिपल ने स्वीकार किया है कि फीस न भर पाने के कारण छात्रा के अभिभावकों को स्कूल बुलवाया गया था और इसलिए उसे आधा घण्टा खड़ा रखा गया था. ज़िला शिक्षा अधिकारी के मुताबिक ये भी नियमों के विरुद्ध है और ये प्रताड़ना की श्रेणी में आता है जिसकी जांच कर कलेक्टर भोपाल को रिपोर्ट सौंपी जाएगी और स्कूल की मान्यता रदद् भी की जा सकती है.