राहुल गांधी कांग्रेस में अपने हिसाब से आहिस्ता-आहिस्ता बदलाव करते जा रहे हैं. बुधवार को राहुल ने एक दिन में तीन फैसले किए. उन्होंने कांग्रेस के महासचिव बी के हरिप्रसाद को छत्तीसगढ़ और झारखंड की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया और अपने करीबी पूर्व गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह को झारखंड का प्रभारी नियुक्त कर दिया.
आरपीएन सिंह के नीचे दो सचिव उमंग सिंगार और मोइनुल हक काम करेंगे. साथ ही छत्तीसगढ़ में राहुल के एक और करीबी दलित नेता पीएल पुनिया को प्रभारी बना दिया गया है. उनके साथ भी दो सचिव सहयोग के लिए होंगे. इसके अलावा तीसरी घोषणा कांग्रेस में मीडिया स्ट्रेटजी कमेटी को लेकर हुई, इसमें गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खरगे, आनंद शर्मा से लेकर कई नेता मौजूद थे. नौजवानों में असम से सांसद सुष्मिता सेन को इस में जगह दी गई.
लेकिन इस कमेटी में मध्य प्रदेश के सांसद और लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप ज्योतिरादित्य सिंधिया भी होंगे. साफ-साफ कहा गया है कि, कोशिश करके यह कमेटी रोज मिला करेगी. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि, क्या कमलनाथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होने जा रहे हैं, क्योंकि, सिंधिया को दिल्ली में जिम्मेदारी दे दी गई है और वह भी यह कहकर कि, नई कमेटी की बैठक रोज हुआ करेगी.
वैसे दो बातें बड़ी साफ हैं कि, कमलनाथ मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर उम्र के लिहाज से अपना आखरी दांव खेलना चाहते हैं. पार्टी के भीतर का मैनेजमेंट हो नेताओं की गुटबाजी का मैनेजमेंट हो या फिर चुनावों का मैनेजमेंट सभी में वह पार्टी के भीतर नंबर वन माने जा रहे हैं, लेकिन सिंधिया बाजी छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
राहुल गांधी को मिली रिपोर्ट के मुताबिक, जनता के बीच सिंधिया बेहतर सीएम चेहरा हैं, लेकिन सबको साथ लेकर चलना और सबको मैनेज करने सिंधिया के लिए मुश्किल है. ऐसे में सवाल वहीं खड़ा है कि, अगर संगठन और नेता अंदरखाने खेल कर गए तो जनता का चेहरा सिंधिया भी नेस्तनाबूत हो जाएगा.
इसीलिए कमलनाथ लगातार रेस में बने हुए हैं. इसी उधेड़बुन के बीच मीडिया स्ट्रेटजी कमेटी में कमलनाथ के नाम का ना होना और सिंधिया का होना सियासी गलियारों में इस चर्चा को तेजी से बढ़ा रहा है कि फिलहाल सिंधिया दिल्ली की राजनीति करेंगे और उम्र के आखिरी पड़ाव में कमलनाथ मध्य प्रदेश का रुख करेंगे. लेकिन यह कांग्रेस है... सिंधिया राहुल के करीबी हैं, वह आखिरी वक्त तक हथियार नहीं डालने वाले. इसलिए इंतजार तो फैसले का करना ही होगा. इसीलिए ये हफ्ता बहुत अहम है.