व्यापम घोटाले को लेकर आलोचना झेल रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया है. शिवराज ने इन अटकलों को भी नकार दिया कि उनके और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच कोई मतभेद है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें घोटाले का पर्दाफाश करने का श्रेय दिया जाना चाहिए. चौहान ने कहा, 'वे (कांग्रेस) मांग (इस्तीफे की मांग) करते हैं. कांग्रेस हम पर आरोप लगाती है कि शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी ने भर्तियां कीं. उनके पास इसका एक भी सबूत नहीं है.'
चौहान ने कहा, 'वे महसूस करते हैं कि जब तक वे मेरी छवि नहीं बिगाड़ लेंगे, वे सफल नहीं हो सकते. जनता के बीच मेरी मजबूत छवि उनके दर्द का कारण है.'
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड (एमपीपीईबी) द्वारा की जाने वाली भर्तियों में कथित अनियमितताएं पाई गई थीं. बोर्ड अध्यापकों सहित विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए चयन करता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने कहा, 'एमपीपीईबी द्वारा 3,58,490 भर्तियां की गई थीं. कथित अनियमितता 228 मामलों में पाई गई. इस घोटाले का पर्दाफाश शिवराज सिंह चौहान ने किया था, कांग्रेस या मीडिया ने नहीं.'
उन्होंने कहा, 'आज हालत यह है कि एक पूर्व मंत्री और एक उप महानिरीक्षक (डीआईजी) सलाखों के पीछे हैं. मैंने केवल घोटाले का पर्दाफाश किया था, लेकिन अभी भी मुझ पर इसका आरोप लगाया जा रहा है.'
शिवराज और मोदी के बीच मतभेद होने के बारे में सवालों पर चौहान ने कहा कि यह केवल अटकलबाजी है और इससे दोनों में से किसी पर कोई असर नहीं पड़ता और वे साथ मिलकर काम कर रहे हैं. चौहान ने कहा, 'न तो उन्हें (मोदी) कोई फर्क पड़ता है और न मुझे. लोग अटकलें लगाते रहते हैं.'
मतभेदों के बारे में सवाल पर अधिक जोर दिए जाने पर चौहान ने कहा, 'सवाल ही पैदा नहीं होता.' उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल किए जाने की बात को याद करते हुए कहा, 'मेरे संवाददाता सम्मेलन में, मैंने सबसे पहले राज्य में बीजेपी को जिताने के लिए जनता का धन्यवाद किया था और उसके बाद मैंने कहा था कि अब हमारा लक्ष्य नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाना है.'
चौहान ने कहा कि राज्य में कांग्रेस के राज में भर्ती की कोई प्रक्रिया नहीं थी. उन्होंने कहा, कांग्रेस के शासन में पुलिस भर्तियां पुलिस अधीक्षकों द्वारा की जाती थीं. पटवारियों की नियुक्ति कलेक्टर करते थे. पैसे के बिना कुछ नहीं होता था.