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EXCLUSIVE: शिव'राज' में करप्शन की मंडी बेनकाब, 8 रुपये का प्याज 2 में नीलाम

इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम की पैनी जांच से सामने आया कि किस तरह राज्य की फूड सप्लाई चेन सरकारी खरीद केंद्रों से  प्याज की योजनाबद्ध लूट में संलिप्त दिखाई देती है.

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मध्यप्रदेश में करप्शन की 'मंडी'
मध्यप्रदेश में करप्शन की 'मंडी'

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प्याज की कई परतों की तरह ही मध्य प्रदेश में खाद्य वस्तुओं की पूरी सप्लाई चेन ही भ्रष्टाचार में संलिप्त दिखाई देती है. अब चाहे वो प्याज की सरकारी नीलामी हो या कारोबारियों को ट्रेन भर भर कर प्याज बेचना हो वो भी कौड़ियों के दाम पर. सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले इस शर्मनाक खेल का इंडिया टुडे की तहकीकात में खुलासा हुआ है.

प्याज ना सिर्फ लोगों के खाने का अहम हिस्सा है बल्कि अतीत में ये कई सरकारों की आंखों में आंसू लाने का कारण भी बन चुका है. हालांकि मध्य प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) ने अतीत से कोई सबक नहीं लिया दिखता है. इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम की पैनी जांच से सामने आया कि किस तरह राज्य की फूड सप्लाई चेन सरकारी खरीद केंद्रों से  प्याज की योजनाबद्ध लूट में संलिप्त दिखाई देती है.

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016-17 में मध्य प्रदेश में 32 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हुआ. बंपर उत्पादन की खुशी किसानों के चेहरों से उस वक्त काफूर हो गई जब प्याज के दाम में धड़ाम गिरावट हुई. नाराज किसानों ने बीते महीने इसके इसके विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी किया.

प्याज उत्पादक किसानों के विरोध से सकते में आई शिवराज सिंह चौहान सरकार ने आनन-फानन में ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर 8 रुपए प्रति किलो की दर से 9 लाख टन प्याज खरीद डाला. कायदे से जो प्याज खरीदा गया उसे अधिकतम संभावित कीमत पर कारोबारियों को नीलाम किया जाना चाहिए था. लेकिन इसकी जगह हुआ ठीक उलटा, जिसका इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने अपनी जांच से पता लगाया. जिनके ऊपर जिम्मेदारी थी, उन्हीं नौकरशाहों ने चंद व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी नीलामी प्रक्रिया का ही मखौल बना कर रख दिया. सरकारी खजाने को चूना लगाने का ये सारा खेल व्यापारियों से मोटी घूस वसूल कर किया गया.

बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले की धुरी और कहीं नहीं बल्कि राज्य की राजधानी भोपाल के बीचोंबीच ही दिखाई दी. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने शहर के पर्यावास भवन में स्थित राज्य नागरिक आपूर्ति विभाग (MPSCSC) के मुख्यालय का रुख किया. यहां महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी ने मोटी घूस के बदले ट्रेन भर प्याज औने-पौने दाम में बेचने के लिए हामी भरी. सोनी कैमरे पर ये कहते हुए कैद हुआ- 'नीलामी को मैनेज कर लिया जाएगा. ये मैं कह रहा हूं कि मैं इसे शाजापुर, माकसी, और शुजालपुर (मंडियों) में मैनेज कर लूंगा.'

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सोनी ने गारंटी दी कि अंतिम बोली 2 रुपए प्रति किलो के आधार मूल से 10 पैसे से ज्यादा हर्गिज नहीं होगी. सोनी ने कहा, 'मैं इसे 2.10 रुपए पर फिक्स कर दूंगा. देखते हैं कि ये कितनी आसानी से 2.10 रुपए पर मैनेज हो जाएगा.'

सोनी ने सब कुछ मैनेज करने यानि नीलामी को मनमुताबिक शक्ल देने के लिए पहले 3 लाख से 4 लाख रुपए तक की मांग की. फिर उसने स्थानीय अधिकारियों को 'फिक्स' करने के नाम पर एक लाख रुपए और की मांग की.

सोनी ने कहा, 'मुझे उनको (मंडी अधिकारियों) भी कुछ देना होगा. मैं उनसे बात करूंगा कि कैसे सब मैनेज किया जा सकता है. मैं ये सब 5 (लाख) में करूंगा.' आजतक पर खबर दिखाए जाने के बाद सरकार ने महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी को सस्पेंड कर दिया है. सोनी को जारी सस्पेंशन लेटर में आजतक पर दिखाए गए स्ट‍िंग ऑपरेशन का भी जिक्र है.

ये पूरा गोरखधंधा बहुत सुनियोजित ढंग से चलता दिखा. इसके लिए विभिन्न मंडियों में फर्जी बोली लगाने वाले लोग भी खड़े किए जाते हैं. इन्हें पहले से ही समझा दिया जाता है कि पूर्व निर्धारित की गई कीमत से अधिक बोली नहीं लगाएं. ऐसा भी किया जाता है कि सारे उत्पाद को ही खराब कह कर खारिज कर दिया जाए जिससे प्रतिस्पर्धात्मक बिक्री का मकसद ही नाकाम हो जाए.

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तहकीकात से ये बात सामने आई कि जो सही में बड़े थोक विक्रेता हैं उन्हें नीलामी स्थल से दूर ही रखा जाता है. सोनी ने बताया, 'जो थोक व्यापारी ट्रेन से उत्पाद आने का इंतजार करते हैं उनसे अलग तरीके से डील किया जाता है. उनसे कहा जाता है कि कोई नीलामी नहीं हो रही है. ऐसा ही सिस्टम है. ऐसे ही सब मैनेज किया जाता है.'

उज्जैन की चमन गंज मंडी में नोडल अधिकारी ओम प्रकाश सिंह को ऐसे व्यापारियों के बिचौलिए के तौर पर काम करते देखा गया जो कौड़ियों के दाम प्याज खरीदना चाहते हैं.  

सिंह ने नीलामी को गुपचुप ढंग से मैनेज करने की बात को माना. सिंह ने वादा किया, 'मैं इसे (नीलामी) 2.15 रुपए पर करा दूंगा. ये सुनिश्चित करना मेरा काम है कि आपको किसी और को भुगतान नहीं करना पड़े.'

सिंह ने इसके बाद इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर के साथ एक स्थानीय भंडारगृह का रुख किया.

सिंह ने कहा, 'पिछले साल बहुत अच्छा चला था. जो सही में  नुकसान (उत्पाद का खराब होना) हुआ था, उसे रिकॉर्ड में 2 से 5 फीसदी ज्यादा दिखाया गया. वो सभी 2 रुपए से ढाई रुपए के बीच नीलाम हुआ ता. कीमतें बाद में डेढ़ से एक रुपए तक आ गिरी थीं.'

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भ्रष्टाचार का ये दायरा मध्य प्रदेश के बड़े हिस्सों तक फैला है. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने फिर शाजापुर मंडी का रुख किया. यहां मंडी सचिव वीरेंद्र आर्य ने दलाल की भूमिका निभाने के लिए तैयार होने में पलक झपकने की भी देर नहीं लगाई. आर्य ने अपने दफ्तर में ही एक व्यापारी को बुलाकर काल्पनिक नीलामी के लिए तैयार होने को कहा.

नवरतन जैन नाम का व्यापारी 250 रुपए प्रति क्विंटल की पूर्व निर्धारित कीमत पर डील करने को तैयार हो गया. उसने अपनी कमीशन ढाई रुपए प्रति किलो बताई. जब मंडी सचिव आर्य से उसके कमीशन के बारे में पूछा गया तो उसने इंडिया टुडे के रिपोर्टर के हाथ पर 5 रूपए लिख दिया. साथ ही आर्य ने जोर देकर कहा कि ये 5 रुपए क्विंटल है ना कि प्रति बोरी.

 

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