'आम आदमी शेर है' और 'नेवर अंडर एस्टिमेट द पावर ऑफ अ कॉमन मैन' जैसे डायलॉग आपने फिल्मों में तो सुने होंगे लेकिन इन्हें हकीकत में बदल दिया है भोपाल में एक चाय बेचने वाले ने. राजेश सक्रे नाम के इस शख्स ने न सिर्फ देश के सबसे बड़े बैंक के खिलाफ लड़ा बल्कि उसे जीता भी.
महज पांचवीं क्लास तक पढ़ाई करने वाले सक्रे ने वर्ष 2011 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ केस किया था, जब उन्हें पता चला कि उनके अकाउंट से 9200 रुपए गायब हैं. शिकायत के मुताबिक, सक्रे के अकाउंट में 20000 रुपये थे, जिनमें से उनसने 10,800 रुपये निकाल लिए. हालांकि जब वह अगली बार एटीएम से पैसे निकालने के लिए गए तो अकाउंट खाली मिला.
हेडक्वार्टर में भी नहीं हुई सुनवाई
अकाउंट से पैसे गायब होने की शिकायत लेकर जब वह बैंक पहुंचे तो बैंक अधिकारियों ने उनपर हेरफेर का आरोप लगाते हुए वहां से भगा दिया. जब स्थानीय ब्रांच में बात नहीं बनी तो उन्होंने स्टेट बैंक के मुंबई स्थित हेडक्वार्टर में अपील की, लेकिन वहां भी बात नहीं बनी. आखिर में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कराई.
वकील करने के लिए भी नहीं थे पैसे
सक्रे के पास वकील को देने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने खुद ही बैंक के वकील के सामने कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखा. बैंक ने यह दावा किया कि सक्रे ने ही अकाउंट से पैसा निकाला लेकिन सबूत के तौर पर सीसीटीवी फुटेज या कुछ और नहीं पेश कर पाया. दर्जनों सुनवाइयों के बाद सक्रे ने केस जीता.
कोर्ट ने सुनाया फैसला
16 जून को फैसला सुनाते हुए कंज्यूमर कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया कि वह सक्रे के 9200 रुपये 6 फीसदी ब्याज के साथ दो महीने के अंदर लौटाए. इसके साथ ही बैंक पर ग्राहक को मानसिक तनाव देने के आरोप में 10000 और कानूनी कार्रवाई में हुए खर्च के लिए सक्रे को 2000 रुपये अलग से देने का भी आदेश दिया.