मध्य प्रदेश में जबलपुर के एक सरकारी अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक आदिवासी डॉक्टर को सवर्ण मरीजों का इलाज करना महंगा पड़ गया. सवर्ण मरीजों का परिजनों ने कथित रूप से डॉक्टर की पिटाई की और उसे अपशब्द भी कहे. वजह थी कि परिजन चाहते थे कि उनके मरीजों का इलाज कोई सवर्ण डॉक्टर ही करे.
घटना जबलपुर के सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शुक्रवार को हुई. यहां के गढ़ा पुलिस थाना प्रभारी एस खान ने रविवार को बताया, ‘अस्पताल के शल्य चिकित्सा विभाग के डॉ गीतेश रात्रे की ड्यूटी शुक्रवार की शाम को इमरजेंसी विभाग में थी. इस दौरान शाम करीब साढ़े सात बजे दुर्घटना में घायल दो महिलाओं को अस्पताल लाया गया. दुर्घटना का प्रकरण होने के कारण उन्होंने नर्स स्टॉफ को तत्काल दोनों घायल महिलाओं के प्राथमिक उपचार के निर्देश दिये.’
परिजनों ने मांगा सवर्ण डॉक्टर
उन्होंने कहा कि करीब 15 से 20 मिनट में घायल महिलाओं के परिचित लगभग एक दर्जन से अधिक लोग अस्पताल पहुंचे. उमेश यादव नामक व्यक्ति के नेतृत्व में आये लोगों ने इमरजेंसी वार्ड में पहुंचकर ड्यूटी में तैनात डॉ गीतेश रात्रे से नाम और जाति पूछी. खान ने बताया, ‘डॉक्टर ने अपना नाम बताया और अनुसूचित जनजाति वर्ग के होने की जानकारी दी तो वह लोग नाराज हो गये और उपचार के लिए सवर्ण डॉक्टर की मांग करने लगे.’
थाना प्रभारी के मुताबिक इस पर डॉक्टर रात्रे ने बताया कि वह ड्यूटी में है और घायलों का उपचार किया जा रहा है. इस पर नाराज लोगों ने उनका कॉलर पकड़कर उनके साथ कथित तौर पर धक्का-मुक्की की, जिससे डॉक्टर गिर पड़े. बताया जाता है कि मरीजों के परिजन ने उन्हें अपशब्द भी कहे. खान ने बताया कि इसके बाद डॉक्टर के साथ अभद्र व्यवहार करने वाले लोग दोनों घायल महिलाओं को अस्पताल से ले गये.
पुलिस के मुताबिक घटना की लिखित शिकायत डॉक्टर की तरफ से शुक्रवार को थाने में दी गयी थी. पुलिस ने लिखित शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा पहुंचाने सहित कई धाराओं और एससी/एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है. आरोपियों को पकड़ने की कोशिश जारी है.