मध्य प्रदेश के राजगढ़ में गांव की बेटी जब फौजी वेशभूषा में अपने ग्राम गुलखेड़ी पहुंची तो ग्रामीणों की आंखें खुशी से चमक उठीं. उन्होंने जोरों-शोरों से उसका स्वागत करते हुए जुलूस निकाला. दरअसल, गुलखेड़ी कलां की रहने वाली आदिवासी समुदाय की उमा भील का ITBP में चयन हुआ, जिसके बाद वह पूरे 44 दिनों की ट्रेनिंग करके गांव लौटी.
उमा के पिता निराकर भील एक कार मैकेनिक हैं. घर की परिस्थिति अच्छी ना होने के बावजूद उमा ने वह कर दिखाया जिसका सपना हमेशा से उसके पिता देखते थे. वह चाहते थे कि उनकी बेटी इस मुकाम पर पहुंचे जहां घर के साथ-साथ गांव वाले भी उस पर गर्व महसूस करें. उमा ने आज अपने पिता का यह सपना पूरा कर दिखाया है. जब उमा फौजी की ड्रेस में गांव पहुंची तो परिवार के साथ-साथ पूरे गांव ने जश्न मनाया.
इस मौके पर हाइवे से लेकर गांव तक परिवार और ग्रामीणों द्वारा उमा को साफा बांधकर घोड़ी पर बैठाया और जुलूस निकाला गया. पूरा गांव बैनर और पोस्टर सजाया गया. गांव वालों की ओर से किए गए स्वागत को देखकर उमा भी भावुक हो गईं और उन्होंने कहा कि ये पल उनकी जिंदगी का सबसे यादगार पल है.
नवोदय विद्यालय में भी हुआ बतौर टीचर चयन
उमा ने बताया कि उसके घर की परिस्थिति अच्छी नहीं थी. लेकिन पढ़ाई करने के लिए उसने हिम्मत नहीं हारी. कई बार दूसरों के खेतों में मजदूरी भी की. उन्होंने कहा, ''मेरा शुरू से ही फौज में भर्ती होकर देश सेवा करने का मन था. रोज स्कूल जाने से पहले मैं सुबह 5 बजे उठकर ग्राउंड में डेढ़ घण्टे दौड़ लगाती थी. बहुत मेहनत के बाद मुझे ITBP (भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल) के लिए चुन लिया गया. और ITBP ज्वाइन करने के दौरान ही नवोदय विद्यालय में भी TGT टीचर के लिए मेरा चयन हो गया. लेकिन मैंने ITBP को चुना.''