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शिवरात्रि पर उज्जैन में शिप्रा नदी के दोनों ओर जलाए जाएंगे 13 लाख दीपक, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की तैयारी

उज्जैन में कल यानि शिवरात्रि के अवसर पर एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है. दरअसल कल यहां शिप्रा नदी के दोनों ओर लगभग 13 लाख दीपक जलाए जाएंगे. शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव में 'जीरो वेस्ट' को लक्ष्य बनाकर कार्यक्रम की रुपरेखा बनाई गई है.

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shipra river
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • जलाए जाएंगे 13 लाख दीप
  • 'जीरो वेस्ट' को लक्ष्य बनाकर होगा महोत्सव

दुनियाभर में महाकाल मंदिर और सिंहस्थ की वजह से मशहूर मध्य प्रदेश का उज्जैन शहर एक नया इतिहास रचने जा रहा है. आगामी एक मार्च को शिवरात्रि पर्व पर उज्जैन में शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव आयोजित किया जा रहा है जिसके दौरान शिप्रा नदी समेत सभी प्रमुख मंदिरों में दीये जलाए जाएंगे. 

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जलाए जाएंगे 13 लाख दीप

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 नवंबर को उज्जैन में घोषणा की थी कि शिवरात्रि पर्व पर उत्तर प्रदेश के अयोध्या की तरह उज्जैन में बड़ा आयोजन किया जाएगा. इसी के मद्देनजर अब सरकार ने तैयारी कर ली है. शिवरात्रि पर्व की शाम को शिप्रा नदी के तट पर दोनों ओर 13 लाख दीप जलाए जाएंगे.

इसके अलावा महाकाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, काल भैरव मंदिर, गढ़ कालिका, सिद्धवट, हरसिद्धि मंदिर, प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर दीप जलाए जाएंगे. नगर के नागरिक भी अपने घरों पर 5-5 दीप प्रज्वलित करेंगे. इस आयोजन का नाम 'शिव ज्योति अर्पणम' महोत्सव रखा गया है. इसमें व्यापक संपर्क अभियान के माध्यम से लोगों को जोड़ा गया है. यहां लगभग 17 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. 

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की तैयारी

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मध्य प्रदेश सरकार इस आयोजन को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाना चाहती है. इस कार्यक्रम को रिकॉर्ड के रूप में दर्ज करने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स की टीम भी उज्जैन पंहुच चुकी है. आपको बता दें कि पिछले साल अयोध्या में 9.41 लाख दीप जलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था. प्रमुख आयोजन स्थल रामघाट पर दीप प्रज्वलन की व्यवस्था के लिए ब्लॉक और सेक्टर बनाए गए हैं. 

'जीरो वेस्ट' को लक्ष्य बनाकर होगा महोत्सव

शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव में 'जीरो वेस्ट' को लक्ष्य बनाकर कार्यक्रम की रुपरेखा बनाई गई है. स्वयंसेवकों के पहचानपत्र क्यूआर कोड एप के माध्यम से रीसायकल पेपर से बनाए जायेंगे. महोत्सव के पश्चात दीयों का होम कम्पोस्टिंग, मटके, कुल्लड़ आदि बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा. कार्यक्रम के बाद बचे हुए तेल का गौशाला आदि में इस्तेमाल किया जाएगा. तेल की खाली बोतलों का 3-R प्रक्रिया के  माध्यम से पुनः उपयोग होगा. मोमबत्तियों को जलाने के लिए पेपर मैचबॉक्स का इस्तेमाल किया जाएगा. खाने-पीने के लिए केवल जैव-निम्नीकरणीय कटलरी, प्लेट का उपयोग किया जाएगा.

 

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