मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अलीराजपुर, मंडला और होशंगाबाद जिले के आदिवासी क्षेत्रों की आंगनवाड़ी में खाने में अंडे भिजवाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
इन इलाकों में खाने में अंडा भिजवाना एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाना था. एक्टिविस्ट के मुताबिक, इससे बच्चों को प्रोटीन युक्त खाना मिलता. खासतौर पर आदिवासी इलाकों में जहां बहुत कुपोषण है. जब इस प्रोजेक्ट को मुख्यमंत्री चौहान के सामने पेश किया गया तो उन्होंने अधिकारियों को सीधा इनकार किया और कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते ऐसा कभी नहीं हो सकता.
ये प्रस्ताव पिछले महीने महिला और बाल विकास विभाग ने आंगनवाड़ियों में 3 से 6 साल के बच्चों के नाश्ते के लिए तैयार किया था. जब इस मामले में चौहान की टिप्पणी मांगी गई तो उनके प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने कहा, 'यह शुरू से ही मुख्यमंत्री के लिए एक भावुक मुद्दा रहा है. बच्चों के लिए इससे भी अधिक पौष्टिक विकल्प हैं.'
सार्वजनिक भाषण के दौरान भी एक बार चौहान ने कहा था, 'केला और दूध दिया जाएगा, लेकिन अंडे कभी नहीं.' प्रोजेक्ट ऑफिसर ने सुझाव दिया था कि अंडे हर दूसरे और तीसरे हफ्ते बच्चों को दिया जाए. जब बच्चों के इस मेन्यू के बारे में जैन समुदाय को पता चला तो इसके सदस्य सक्रिय हो गए. नौकरशाहों पर इस प्रस्ताव को बदलने का दबाव बनने लगा और अंत में ये मुख्यमंत्री के पास पहुंचा.
दिगंबर जैन महासमिति के सदस्य अनिल बदकुल ने कहा, 'नौकरशाहों ने कहा कि बच्चों के लिए अंडे दिए जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के इजाजत के बाद ही होगा. हम इस जवाब से संतुष्ट नहीं तो हम सीधा मुख्यमंत्री के पास पहुंचे.' जैन समुदाय के लोगों का मानना है कि अंडे खाने से बहुत नुकसान है. उनके मुताबिक, अंडे खाने से लोगों की संवेदनशीलता मर जाती है.