मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव व्यापम घोटाले में घिरते नजर आ रहे हैं. राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव का नाम एसटीएफ ने दस दिन पहले ही सप्लीमेंट चालान में शामिल कर लिया था. शैलेश को एसटीएफ नोटिस देने के लिए तलाश कर रही है. हाईकोर्ट ने 20 फरवरी को एसआईटी से हाई प्रोफाइल लोगों के खिलाफ भी कार्यवाही की अनुमति दी है. कोर्ट ने एसटीएफ से पूछा कि इस घोटाले में कितने आरोपी फरार है?
मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के ओएसडी धनराज यादव को आरोपी बनाने के बाद एसटीएफ ने राज्यपाल के बेटे का नाम सप्लीमेंट चालान में शामिल किया है. एसटीएफ के मुताबिक संविदा शिक्षक वर्ग तीन भर्ती का आरोपी वीर पाल सिंह यादव ने सन् 2011 में बिचौलिया के माध्यम से 9 लोगों को पास कराने के लिए 3 लाख रूपए भी शैलेश को दिए थे. एसटीएफ ने शैलेश को आरोपी नहीं बनाया, लेकिन एसटीएफ के सामने पेश होने के लिए राजभवन नोटिस भेजा.
एसटीएफ की ओर से 16 फरवरी को पहला नोटिस राजभवन भेजा गया, लेकिन वहां किसी ने इसे नहीं लिया और नोटिस वापिस भेज दिया गया कि शैलेश यादव यहां नहीं रहते है. इसके बाद लखनऊ नोटिस भेजा गया. एसटीएफ अभी तक शैलेश तक नोटिस नहीं भेज पाई है. हालांकि अब सरकार भी हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक कार्यवाही में अपना सुर मिला रही है.
कांग्रेस विधायक सुन्दरलाल तिवारी ने कहा, 'व्यापम के मामले में प्रदेश के दोनों मुखिया, मुख्यमंत्री और गवर्नर के परिजनों का नाम व्यापम में आया है, दिग्विजय सिंह ने हलफनामा दिया है और एसटीएफ के खेल का खुलासा किया है.'
गौरतलब है कि राज्यपाल राम नरेश यादव सितम्बर 2011 में मध्यप्रदेश के राज्यपाल यूपीए सरकार के समय बने थे. एसआईटी के चेयरमैन चंद्रेश भूषण का कहना है कि उन्हें दिग्विजय सिंह ने भी दस्तावेज दिए है जिसमें उन्होंने शिवराज पर आरोप लगाये है. इन आरोपों की भी जांच की जा रही है. चंद्रेश भूषण ने कहा, 'राज्यपाल पर कार्यवाही कब होगी, इस बारे में मीडिया को कुछ नहीं बताया जा सकता. उन्होंने ये भी कहा कि एसटीएफ का जांच अधिकारी मामला दर्ज करने के लिए सक्षम है.'
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल के बेटे के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलते ही मामला दर्ज किया जाएगा और यदि षड़यंत्र में शामिल होने के सबूत मिलते है, तो राज्यपाल पर 120बी के तहत भी मामला दर्ज हो सकता है. विधानसभा में कांग्रेस ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.