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व्यापम: कोई है जो नम्रता की फाइल खोलने से डरता है!

व्यापम से जुड़ी मौतों की फेहरिस्त में नम्रता दामोर की मौत का मामला जांच के दायरे में तो आया, लेकिन जिस तेजी से उसके फाइल को बंद किया गया है वह सवाल खड़े करती है. दरअसल, गौर किया जाए तो नम्रता की मौत की कहानी रेलवे लाइन से शुरू होकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शमशान में दफन लाश के बीच कुछ इस कदर घूमती है या फिर घुमाई जाती है कि पल भर में हत्या खुदकुशी में बदल जाती है.

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नम्रता दामोर की फाइल फोटो
नम्रता दामोर की फाइल फोटो

व्यापम से जुड़ी मौतों की फेहरिस्त में नम्रता दामोर की मौत का मामला जांच के दायरे में तो आया, लेकिन जिस तेजी से उसके फाइल को बंद किया गया है वह सवाल खड़े करती है. दरअसल, गौर किया जाए तो नम्रता की मौत की कहानी रेलवे लाइन से शुरू होकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शमशान में दफन लाश के बीच कुछ इस कदर घूमती है या फिर घुमाई जाती है कि पल भर में हत्या खुदकुशी में बदल जाती है.

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जरा गौर कीजिए तो आजादी के बाद से हिंदुस्तान ने घोटाले तो बहुत देखे, लेकिन पहली बार एक ऐसा घोटाला हुआ जो सिक्कों की खनक से कहीं ज्यादा खून के धब्बों के कारण चर्चा में है. इसे दिलचस्प कहिए या फिर दुर्भाग्य कि जिस घोटाले को लेकर पहली शि‍कायत 2009 में हुई थी, 2015 के आते-आते उसमें 45 से अधि‍क लाशें बिछ गई हैं और शि‍वराज के दौर में यमराज का 'खेल' जारी है. खास बात यह कि दौर नरेंद्र मोदी का भी है और एनडीए की सरकार के लिए विकास का 'शि‍वराज मॉडल' सुपरहिट है.

बात नम्रता की वाया नर्मदा
नम्रता की मौत की सच्चाई की पहली तस्वीर उस रेलवे लाइन की है, जहां से उसका शव मिला था. दूसरी तस्वीर उस पोस्टमार्टम रिपोर्ट की है, जिसमें नम्रता की जान जाने की वजह सांस का रुकना और दम घुटना है और तीसरी तस्वीर हत्या को खुदकुशी में बदलने की थ्योरी साबित करने के लिए शमशान से नम्रता का शव निकालना है. यानी 11 महीने में पुलिस ने नम्रता की हत्या को खुदकुशी में तब्दील कर फाइल बंद कर दी.

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जरा सिलसिलेवार समझिए
सात जनवरी को इंदौर से वाया उज्जैन भोपाल जा रही नर्मदा एक्सप्रेस के ड्राइवर ने सौ मीटर की दूरी से ही रेलवे ट्रैक पर पड़े शव को देखकर ट्रेन रोक दी. फोन से स्टेशन मास्टर को जानकारी दी. स्टेशन मास्टर ने पुलिस को जानकारी दी कि उज्जैन-मक्सी रेलवे लाइन के पास भैरुपुरा केवी पोल नंबर 78/9-11के सामने अझात शव पड़ा है. लेकिन पुलिस ने जो रिपोर्ट तैयार की उसमें शव को भोपाल वाया उज्जैन इंदौर ट्रैक पर दिखाया गया.

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में नम्रता को नमर्दा एक्सप्रेस से कूद कर जान देने का जिक्र किया. इसके लिए बकायदा नमर्दा एक्सप्रेस की एस-8 बोगी में सीट नंबर- 3 पर रिजर्वेशन होने का टिकट भी दिखाया गया. तो पहला सवाल कि अगर नम्रता नमर्दा एक्सप्रेस से कूदी भी तो शव इंदौर से भोपाल ट्रैक के बदले भोपाल से इंदौर वाले ट्रैक पर कैसे पहुंच गया?

तो क्या गलत है पोस्टमार्टम रिपोर्ट?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के दस्तावेज बताते हैं कि शव नम्रता का है इसकी जानकारी किसी को नहीं थी. इसीलिए अज्ञात शव का पोस्टमार्टम हुआ जिसे तीन अनुभवी डॉक्टर बीबी पुरोहित, ओपी गुप्ता और अनिता जोशी ने तैयार किया. इस रिपोर्ट में बकायदा होटों के दबने. नाक पर नाखून के तीन निशान के होने का जिक्र तस्वीर बनाकर किया गया. और तो और मौत का कारण दम घुटने और स्मूथरिंग यानी नाक, मुंह, गला दबाना बताया गया.

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पोस्टमारप्टम रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि मौत सांस रुकने से हुई. तो दूसरा सवाल यही कि जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने ही खुदकुशी से इनकार कर दिया तो पुलिस ने किस थ्योरी के तहत हत्या को खुदकुशी में तब्दील कर दिया.

नई रिपोर्ट को बनाया आधार
तीसरी तस्वीर किरथपुर शमशान घाट की है, जहां से पुलिस ने 20 दिन बाद 29 जनवरी 2012 को नम्रता का शव निकाला. क्योंकि तब तक उसके परिवार वालों ने अझात शव के पुलिस थाने में लगे पोस्टर से पहचाना और उसके बाद पुलिस ने झटके में तय किया कि पोस्टमार्टम के अलावे भी दूसरी राय ली जाए तो भोपाल में मेडिकोलीगल इंस्ट‍िट्यूट के डायरेक्टर डीएस बाडुकर को 7 फरवरी 2012 को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया.

डॉ. बाडुकर ने 30 मार्च 2012 को पुलिस को अपनी 25 पेज की रिपोर्ट सौंपी. इसमें नम्रता की मौत को खुदकुशी करार दिया गया. पुलिस ने भी पोस्टमार्टम की जगह मोडिकालीगल इंस्टि‍ट्यूट के डायरेक्टर बाडुरकर की रिपोर्ट को ही अपनी फाइल बंद करने का आधार बनाया और 28 दिसबंर 2012 को यह कहकर फाइल बंद कर दी गई कि मौत हत्या नहीं खुदकुशी थी.

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