बाढ़ में किसी का घर बहा तो कितनों की गृहस्थी बह गई. एक दूल्हे का तो शादी का मुहूर्त ही बह गया. बाढ़ में बहते अरमान अब दो दिन बाद काबू में आएंगे. अब दूल्हा सोमवार को बारात लेकर तो जाएगा लेकिन दुल्हन को टूटी चौखट और दलदल में धंसी दहलीज पार करनी होगी.
हल्दी से तरबतर दूल्हे की बारात चढ़ने से पहले ही भोपाल में ऐसा पानी चढ़ा कि शादी का मुहूर्त ही बह गया. मंडप के नाम पर सिर्फ ठूंठ ही रह गया. पानी गले तक आ गया तो शुभ लग्न में शादी की उम्मीद भी बह गई.
घर में चारों ओर कीचड़ और सीलन के बीच दो दिन बाद फेरे तो हो जाएंगे लेकिन क्या वो शादी होगी. बहू को दलदली दहलीज पार कर टूटी चौखट लांघनी होगी. ऐसे में अरमान तो बस बाढ़ में ही बह गए .
दो दिन शादी टली तो पड़ोसियों को मजे लेने का मौका मिल गया. लेकिन घर वालों के लिए तो आफत आ गई. उन रिश्तेदारों को भी दो दिन और रुकना होगा और शादी के मौके पर मिलने वाली सौगात भी नहीं मिलेगी क्योंकि सब तो बाढ़ में बह गया है. यानी कुल मिलाकर बाढ़ क्या आई शादी तो गोया पनौती हो गई. लड़के और लड़की वालों के साथ रिश्तेदार भी परेशान हो रहे हैं.