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लैपटॉप-हेलिकॉप्टर के शौक से लेकर राजनीति तक रही है कंप्यूटर बाबा की धाक

कम्प्यूटर बाबा का असल नाम नामदेवदास त्यागी है. महंत नृसिंहदास महाराज का कहना है कि तेज दिमाग, स्मार्ट वर्किंग व कार्यशैली के कारण उनको यह नाम मिला है.

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नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा (फाइल फोटो)
नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश के इंदौर में नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा के खिलाफ अवैध कब्जे के मामले में कार्रवाई की गई. बाबा के गोम्मट गिरी वाले आश्रम पर प्रशासन का बुलडोजर चला है. इसके साथ ही पुलिस ने बाबा को गिरफ्तार भी कर लिया है. आइए जानते हैं कौन हैं नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा-

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कम्प्यूटर बाबा का असल नाम नामदेवदास त्यागी है. महंत नृसिंहदास महाराज का कहना है कि तेज दिमाग, स्मार्ट वर्किंग व कार्यशैली के कारण उनको यह नाम मिला है. 1998 के आसपास कम्प्यूटर का युग गति पकड़ रहा था. नृसिंहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान साधु-संतों ने नामदेवदास महाराज की तेज कार्यशैली को देखते हुए उनका नाम कम्प्यूटर बाबा रख दिया. 

बाबा जिस विषय से सहमत नहीं, उस पर बेबाकी से प्रतिक्रिया देने में देरी नहीं करते. अलग-अलग मुद्दों के लिए तीन नामी कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा भी खोल चुके हैं. महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा कुटिया में रहते हैं, लेकिन लैपटॉप, फेसबुक और हेलिकॉप्टर का शौक रखते हैं. उन्हें हेलीकॉप्टर से सफर और फेसबुक पर भक्तों से चैटिंग करने से आनंद आता है. 

हेलिकॉप्टर से कंप्यूटर बाबा को ज्यादा लगाव है. लोकल अखबारों के अनुसार, यज्ञ और अनुष्ठानों के पर्चे बांटने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं. 2011 में मालवा महाकुंभ और 2012 में विदिशा में धार्मिक आयोजन के लिए हेलिकॉप्टर से लगातार कई दिन तक पर्चे बांटे गए थे.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंप्यूटर बाबा 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचने के सपना देख रहे थे. दिगंबर अखाड़ा से जुड़े श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा का इंदौर के अहिल्या नगर में भव्य आश्रम है. कुंभ मेले में पधारे कंप्यूटर बाबा कहते हैं कि उन्हें अंधविश्वास में भरोसा नहीं है.

शिवराज सरकार के दौरान कम्प्यूटर बाबा ने ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकाली थी. इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कम्प्यूटर बाबा समेत पांच साधु-संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था. हालांकि, 2018 के चुनाव से पहले कम्प्यूटर बाबा का शिवराज सरकार से मोहभंग हो गया और कांग्रेस के करीब आ गए. 

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कंप्यूटर बाबा को तोहफा भी मिला और तत्कालीन कमलनाथ सरकार में उन्हें नर्मदा-क्षिप्रा नदी न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था. हाल में हुए उपचुनाव में भी कम्प्यूटर बाबा ने कांग्रेस के लिए प्रचार किया और शिवराज सरकार पर हमला बोला. इसके बाद उनके अवैध कब्जे पर प्रशासन ने कार्रवाई कर दी.

 

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