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MP में बाहरी को नहीं मिलेगी नौकरी, यशवंत बोले- ये संविधान का मजाक

यशवंत सिन्हा ने ट्वीट में लिखा, मध्य प्रदेश के सीएम ने बाहरी लोगों को प्रदेश में नौकरियों पर रोक लगाकर भारत के संविधान का माखौल बनाया है. यह बीजेपी का नया भारत है. क्या बीजेपी के अन्य मुख्यमंत्री भी इसी रास्ते पर चलेंगे और केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी रहेगी? क्या बीजेपी के नए नारे ने भारत को बांट दिया है?

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यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाहरी लोगों के नौकरी नहीं देने के फैसले की निंदा
  • 'क्या बीजेपी के अन्य सीएम भी इसी रास्ते पर चलेंगे'
  • एमपी में बाहरी लोगों को नौकरी न देने का हुआ था ऐलान

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाहरी लोगों को राज्य में नौकरी नहीं देने के फैसले की पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने निंदा की है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि ऐसा फैसला करके मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संविधान का मजाक उड़ाया है. 

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यशवंत सिन्हा ने ट्वीट में लिखा, 'मध्य प्रदेश के सीएम ने बाहरी लोगों को प्रदेश में नौकरियों पर रोक लगाकर भारत के संविधान का माखौल बनाया है. यह बीजेपी का नया भारत है. क्या बीजेपी के अन्य मुख्यमंत्री भी इसी रास्ते पर चलेंगे और केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी रहेगी? क्या बीजेपी के नए नारे ने भारत को बांट दिया है?'

बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और सेवाओं में सिर्फ राज्य के लोगों को अवसर दिया जाएगा. हालांकि मध्य प्रदेश सरकार के इस ऐलान पर कानून के जानकारों ने सवाल उठाया है. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ क्रिमिनल जस्टिस के स्थाई वकील दीपक आनंद मसीह का कहना है कि यह राज्य सरकार के अधिकार में नहीं है. दीपक का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के डॉ प्रदीप जैन सहित कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की श्रृंखला है, जिनमें कोर्ट ने राज्य सरकारों के ऐसे प्रस्तावों को सिरे से खारिज कर दिया है.

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दीपक मसीह के अनुसार राज्य सरकारें सरकारी नौकरियों के लिए तय शर्तों और मानदंडों में डोमिसाइल यानी स्थाई निवासी को प्राथमिकता का कोई मानक बना सकते हैं, लेकिन शत प्रतिशत इसके आधार पर प्रावधान तय नहीं कर सकते. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, 'मेरे प्रिय प्रदेशवासियों, अपने भांजे-भांजियों के हित को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है कि मध्यप्रदेश में शासकीय नौकरियां अब सिर्फ मध्यप्रदेश के बच्चों को ही दी जाएंगी. इसके लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान किया जा रहा है. प्रदेश के संसाधनों पर प्रदेश के बच्चों का अधिकार है.' सीएम के इस फैसले पर कई लोगों ने सवाल उठाए थे.

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