शिवसेना (UBT) पार्टी के मुखपत्र सामना ने एक बार फिर चौंकाने वाला बड़ा दावा किया है. सामना ने अपने कॉलम में लिखा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 22 विधायक और 9 लोकसभा सांसद इस समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाराज चल रहे हैं और शिंदे गुट छोड़ना चाहते हैं. यह भी कहा कि ये नाराज विधायक और सांसद शिवसेना (UBT) के संपर्क में हैं.
शिवसेना (UBT) के सांसद विनायक राउत ने कहा कि विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में हैं और शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ना चाहते हैं. क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्रों में कोई विकास नहीं हुआ है. सरकार में उनकी सुनी नहीं जा रही है.
'बीजेपी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं?'
'सामना' ने सोमवार को कहा कि “हम ही शिव सेना” जैसे नारे लगाने वाले शिवसेना के वरिष्ठ नेता गजानन कीर्तिकर ने खुले तौर पर भाजपा के व्यवहार पर नाराजगी जताई है. कीर्तिकर ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना गठबंधन में सब ठीक नहीं होने का संकेत दिया है और बीजेपी पर भेदभाव का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा, हम 13 सांसद हैं और अभी हम NDA का हिस्सा हैं. हम उम्मीद करते हैं कि हमारे निर्वाचन क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाएगा, लेकिन हम ऐसा होता नहीं देख रहे हैं. कीर्तिकर ने दावा किया कि उनकी पार्टी राज्य की 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी.
'बीजेपी गठबंधन को 5-7 सीटें भी देने को तैयार नहीं'
सामना के मुताबिक, कीर्तिकर ने कहा, पैसे से स्वाभिमान और सम्मान नहीं खरीदा जा सकता, यह एक बार फिर साबित हो गया है. उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी राज्य की 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. यानी उन्होंने बीजेपी से सीटें मांगी हैं. हालांकि, बीजेपी इस ग्रुप को पांच-सात सीटें देने के लिए भी तैयार नहीं है.
महाराष्ट्र में शिंदे गुट-बीजेपी की सरकार
पिछले साल जून के महीने में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 15 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी. शिंदे समेत शिवसेना के 16 विधायक पहले सूरत फिर गुवाहाटी में जाकर ठहरे थे. उस समय उद्धव ने शिंदे को वापस आने और बैठकर बातचीत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसे शिंदे ने स्वीकार किया नहीं और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. राज्यपाल ने शिंदे-बीजेपी गठबंधन सरकार को मान्यता देकर शपथ दिला दी थी. ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए याचिका दायर की थी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.
2019 में क्या रहे चुनावी नतीजे?
साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 में से सबसे ज्यादा 105 सीटें बीजेपी को मिली थीं। उसके बाद शिवसेना (अविभाजित) को 56 सीटें मिली थीं. एनसीपी को 53 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. बहुजन विकास अघाड़ी को तीन, समाजवादी पार्टी को दो सीटें, प्रहार जनशक्ति पार्टी को दो सीटें मिली थीं. पीडब्ल्यूपीआई को एक और निर्दलीय को आठ सीटें मिली थी.
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जब उद्धव ठाकरे ने बनाई सरकार?
साल 2019 चुनाव नतीजे के बाद मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना की दावेदारी के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन टूट गया था और उद्धव ठाकरे ने अपने वैचारिक विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी, जिसे सपा ने भी समर्थन दिया था. हालांकि, ढाई साल के बाद जून 2022 में शिंदे ने 15 शिवसेना विधायकों के साथ बगावत कर दी थी और पार्टी के 25 विधायकों ने बाद में साथ दिया था. इस तरह शिंदे के साथ 40 विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिलाया और शिंदे मुख्यमंत्री बने.
शिंदे-फडणवीस को 162 का समर्थन?
NDA में शामिल दल महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं. सियासी समीकरणों और दलीय स्थिति पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन के साथ जो दल हैं उनके विधायकों की संख्या 162 हैं, जो इस प्रकार है- 1- भाजपा- 105 2- शिवसेना (शिंदे गुट)- 40 3- प्रखर जनशक्ति पार्टी- 2 4- अन्य दल- 3 5- निर्दलीय 12
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एमवीए के पास 121 विधायक
विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) की बात करें तो उनके पास कुल 121 विधायक हैं जिसमें सर्वाधिक विधायक (53) एनसीपी के हैं. एमवीए गठबंधन में शामिल दलों और उनके विधायकों की संख्या इस प्रकार है-
1- एनसीपी- 53
2- कांग्रेस- 45
3- शिवसेना (उद्धव गुट)- 17
4- सपा- 2
5- अन्य दल- 4
पांच विधायकों का किसी को समर्थन नहीं
इसके अलावा, पांच विधायक किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इसमें बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायक और एआईएमआईएम के 2 विधायक हैं, जो ना तो एमवीए गठबंधन का हिस्सा हैं और ना ही एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.