महाराष्ट्र के पुणे में 'गुलेन बैरी सिंड्रोम' (GBS) के 22 मरीज मिलने के बाद शहर में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. ये मामले पुणे के तीन अलग-अलग अस्पतालों में दर्ज हुए हैं. इस बीमारी से जुड़े लक्षणों और संभावित कारणों की जांच की जा रही है. वहीं, इसको लेकर पुणे नगर निगम ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं क्योंकि इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है.
दरअसल, 'गुलेन बैरी सिंड्रोम' के 22 मरीजों की पहचान की गई है. सभी पुणे के तीन अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं. उनकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है और इलाज चल रहा है. इन मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री और ट्रैवल रिकॉर्ड का अध्ययन किया जा रहा है.
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वहीं, नागरिकों को जागरूक करने और घबराहट कम करने के लिए पुणे नगर निगम ने एक विशेष बैठक बुलाई है. GBS के मरीजों की रिपोर्ट राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) को भेजी गई है. डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक टीम बीमारी के कारणों और प्रसार के जोखिमों का विश्लेषण कर रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक, गुलेन बैरी सिंड्रोम आमतौर पर वायरल इंफेक्शन, जैसे जिका वायरस, चिकनगुनिया और COVID-19 के बाद विकसित हो सकता है.
पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि GBS में मृत्यु दर बहुत कम है. बीमारी के सभी 22 मरीज नियंत्रण में हैं और उनका उपचार जारी है. पुणे में GBS के 22 मरीजों की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है. हालांकि, पुणे नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करें और किसी भी लक्षण के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.