मायानगरी मुंबई के वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर तेज रफ्तार कार ने शनिवार को एक लड़की को टक्कर मार दी. कार की टक्कर से सड़क पार कर रही लड़की की मौत हो गई. टक्कर के बाद लड़की करीब 20 मिनट तक
सड़क पर तड़पती रही, लेकिन किसी ने उसकी मदद करने की कोशिश नहीं की.
देर से अस्पताल पहुंचते ही लड़की ने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि लड़की गोरेगांव के टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज टीसीएस में जॉब
करती थी और महज 4 दिन पहले उसने कंपनी ज्वॉइन की थी.
हंसमुख अर्चना की उम्र महज 22 साल थी, लेकिन अब वह तस्वीरों तक सिमट कर रह गई है. कहने को तो एक सड़क हादसे में अर्चना की मौत हो गई, लेकिन यह अर्चना की मौत नहीं बल्कि इंसानियत की मौत है. ये घटना देश
के उस शहर की है जिसके जज्बे की मिसाल दी जाती है. इस शहर के लोगों को मुसीबत के समय लोगों की मदद करने के लिए जाना जाता है. लेकिन 13 तारीख की रात 8 बजे जब अर्चना को मुंबई के गोरेगांव हाइवे के
पास एक गाड़ी ने ठोकर मारी तो ना मुंबई का जज्बा दिखा और ना ही अपने को गुमान से मुम्बईकर कहने वाला कोई शख्स मदद का हाथ आगे बढाया.
खून से लतपथ महज दो मिनट दूर स्थित अस्पताल पहुचने में अर्चना को 20 से 25 मिनट लग गए. तब तक अर्चना की सांसे हमेशा के लिए बंद हो चुकी है. इस घटना ने मर रही इंसानियत का वो चेहरा पेश किया है जो इंसान को इंसान कहलाने लायक नहीं छोड़ा. मुंबई के वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे के जिस जगह ये हादसा हुआ वहां 24 घंटे गाडियों की आवजाही रहती है. लेकिन बुधवार की रात जब अर्चना को सड़क पार करते हुए किसी तेज रफ्तार गाड़ी ने टक्कर मार दी तो उसे देखने वाली दर्जनों आंखे रही होंगी. लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की.
जिस गाड़ी ने टक्कर मारी, उस गाड़ी के ड्राइवर ने गाड़ी रोकी जरूर लेकिन उसे अस्पताल ले जाने के बजाय फुटपाथ पर छोड़ दिया. अर्चना के सर पर गहरी चोट लगी थी. खून बह रहा था, लेकिन वो तब तक जिंदा थी. 20 मिनट बाद जब एक राहगीर की नजर पड़ी तो उसने पुलिस को अर्चना की हालत के बारे में बताया. पुलिस जब तक अर्चना को लेकर अस्पताल पहुंचती तब तक अर्चना हमेशा के अलविदा कह चुकी थी.
अर्चना की यह मौत थप्पड़ है उस इंसानियत को जो खुद को जानवर से अलग बताता है. पुलिस भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. मुंबई पुलिस का वनराई पुलिस स्टेशन घटना से महज़ 50 मीटर की दूरी पर है. लेकिन 50 मीटर दूर हुई इतनी बड़ी घटना की जानकारी मिलने में पुलिस को 20 मिनट का वक्त लग गया.
परिवार की लाडली अर्चना ने घटना के महज चार दिन पहले ही नई जॉब जॉइन की थी. मन में कई सपने थे लेकिन सब अधूरे रह गए. अर्चना के भाई सिद्धार्थ का कहना है, 'बुधवार को मुझे अर्चना के मोबाइल से एक पुलिस ऑफिसर का कॉल आया। उन्होंने कहा कि मेरी बहन हाइवे पर हादसे का शिकार हो गई है और उसकी हालत बहुत नाजुक है. पुलिस वाले ने हमें तुरंत हाइवे के पास जोगेश्वरी स्थित बाला साहेब ठाकरे ट्रॉमा केयर हॉस्पिटल पहुंचने को कहा. उस दिन मैं अपने काम से विक्रोली में था और मैं तुरंत हॉस्पिटल पहुंच गया, जहां मैंने पाया कि मेरी बहन अर्चना अब इस दुनिया में नहीं रही.'
वनरई पुलिस थाने के एक अधिकारी के मुताबिक, 'बुधवार को 8 बजकर 5 मिनट के आसपास लड़की (अर्चना) अपने घर लौट रही थी और उसने हाइवे क्रॉस किया. इसी दौरान हाइवे के दक्षिण की ओर से आ रही एक गाड़ी ने उसे धक्का मार दिया. हमें भी लगता है कि घटना के बाद गाड़ीवाले ने रुककर अर्चना की बॉडी को फुटपाथ पर रख दिया और फरार हो गया.'
मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी किशोरी माने ने कहा, 'हम मौके पर पहुंचे, जो पुलिस स्टेशन के बाहर ही था और अर्चना को ऑटो से हॉस्पिटल ले गए. किसी ने उसकी मदद नहीं की और वह करीब 15 से 20 मिनट तक सड़क पर यूं ही पड़ी रही. एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को इसकी जानकारी दी और वहां से भाग गया. हम सीसीटीवी फुटेज की मदद ले रहे हैं. घटनास्थल के पास एक सीसीटीवी लगा हुआ है, लेकिन हमें पक्का पता नहीं है कि यह काम कर भी रहा है या नहीं. इस मामले में हमें अभी कोई सुराग नहीं मिल पाया है. हमने अनजान व्यक्ति के खिलाफ हिट ऐंड रन का एक मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रहे हैं.'
लेकिन क्या बात जांच से खत्म हो जाती है. अगर मान भी लें कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर लेती है, उसे सजा भी दिलवा देती है. लेकिन इस सच को कौन झुठला सकता है कि गुनहगार सिर्फ अर्चना को टक्कर मारने वाला ड्राईवर ही नहीं था, बल्कि हादसे के बाद उसकी मदद के लिए हाथ आगे ना बढाने वाले लोग भी हैं.