महाराष्ट्र में विचाराधीन कैदियों की एक बड़ी संख्या मुसलमानों की है. गृहमंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों में सामने आया है कि राज्य में कुल 12 प्रतिशत मुसलमान आबादी है, लेकिन 32 प्रतिशत जनसंख्या विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में है. इसी तरह से एससी और एसटी की जनसंख्या भी राज्य में 12 और 9 प्रतिशत है, लेकिन जेलों में 18.15 और 18.34 प्रतिशत है.
गृह राज्यमंत्री हरिभाई चौधरी ने चव्हाण को बताया कि महाराष्ट्र में 27,400 कैदी (दिसंबर 31, 2013) में 19,331 विचाराधीन है. राष्ट्रीय स्तर पर 4,11,992 में से 2,78,503 कैदी विचाराधीन है.
संसद में प्रस्तुत बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद महाराष्ट्र में मुसलमान विचाराधीन कैदियों की संख्या सबसे ज्यादा है. राज्य की जेल में 6,182 मुसलमान कैदी है, जिनमें 3,509 एससी और 3,545 एसटी है. वहीं, उत्तर प्रदेश में 58,100 मुसलमानों में 15,477 कैदी विचाराधीन है. पश्चिम बंगान में ये आंकड़ा 16,471 कैदियों का है और यहां कुल मुसलमान 7,730 है.
चौधरी ने बताया कि केंद्र ने जेल से विचाराधीन कैदियों को रिहा करने के लिए कई उपाय किए, जिससे जेल में कैदियों की भीड़ कम हो. इसके लिए एक एडवाइजरी भी 17 जनवरी 2013 को जारी की गई थी. इसमें सेक्टर 436A के क्रिमिनल प्रोसिजर कोड के तहत कैदियों को छोड़ने के आदेश दिए गए थे.
इसी संदर्भ में 3 सितंबर 2014 में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा. सभी राज्यों के जेल के डायरेक्टर जनरल को भी सुप्रीम कोर्ट ने आश्वयक कार्रवाई करने के लिए कहा.