अदालत ने उसे फांसी की सजा दी. मामला ऊपर के कोर्ट में चल रहा है. मगर तब तक सजा-ए-मौत पाए कैदियों ने वक्त का बेहतर इस्तेमाल करने की सोची. उन्होंने जेल में चलाए जा रहे इग्नू के कोर्स में अपना नाम लिखाया. कुछ रोज पहले नतीजे आए तो पता चला कि जेल से कुल आठ कैदी एमए डिग्रीधारी हो गए हैं. सोशियोलॉजी सब्जेक्ट के मास्टर बने ये कैदी पहली बार इस लेवल का इम्तिहान दे रहे थे. पास होने वालों में से तीन कैदी ऐसे हैं, जिन्हें सजा ए मौत मिली है.ऐसे एक पुरुष और दो महिलाओं को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें टीचर बनने का भी मौका मिलेगा. दरअसल इग्नू की योजना है कि जेल में जो कैदी एमए कर चुके हैं, उन्हें जेल में ही चलने वाली बीए की क्लास में बतौर टीचर भेजा जाए.
ये सत्यकथा है नागपुर और अमरावती की जेलों की. यहां इग्नू ने साल 2010 में दो स्पेशल स्टडी सेंटर बनाए. इसमें कुल 414 कैदियों ने नाम दर्ज करवाया. अब नतीजा आया तो सब खुश हैं और उत्साहित भी. इग्नू के रीजनल डायरेक्टर शिवस्वरूप ने बताया कि एमए करने वाले कैदियों की सजा भी एक महीने कम कर दी जाती है. यानी पढ़ लिखकर वह जल्दी घर लौट सकते हैं.