महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गौरतलब है कि राज्य में सिंचाई घोटाले के लेकर उनपर सवाल उठाए गए हैं.
इस बारे में विजय पंढारे की चिट्ठी के बाद पवार ने इस्तीफा दे दिया. अजीत पवार महाराष्ट्र सरकार में एनसीपी कोटे से मंत्री हैं और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के भतीजे हैं.
इस्तीफे के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में अजीत पवार ने कहा कि सारा काम नियमों के मुताबिक ही हुआ है और उन्होंने कोई गलती नहीं की है. पवार ने सिंचाई घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की.
एनसीपी विधायक दल के नेता बने रहेंगे अजीत पवार
केंद्रीय मंत्री और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत ने आनन फानन में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है. वह इसे मंजूर करने के लिए राज्यपाल को भेजेंगे.’ हालांकि अजीत ने कहा कि वह तब तक एनसीपी विधायक दल के नेता बने रहेंगे जब तक उन्हें विधायकों का समर्थन हासिल है.
उन्होंने कहा कि जब तक उनका नाम पाक-साफ साबित नहीं होता वह कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे. गठबंधन सरकार में सहयोगी दल कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए अजीत ने कहा, ‘लोग एनसीपी के बढ़ने से जलते हैं.’ अजीत के मुताबिक उन्होंने ऊर्जा मंत्रालय एनसीपी के मंत्री राजेश टोपे को और वित्त मंत्रालय जयंत पाटिल को देने की सिफारिश की है जो पहले उनके पास थे.
अजीत पवार पर क्या हैं आरोप
खबरों के अनुसार 1999 से 2009 के बीच एक दशक तक जल संसाधन मंत्री रहे अजीत पवार ने 2009 में विदर्भ सिंचाई विकास निगम (वीआईडीसी) की संचालक परिषद की मंजूरी के बिना 20 हजार करोड़ रुपये की 38 परियोजनाओं को मंजूर किया था.
खबरों के मुताबिक पवार और वीआईडीसी के कार्यकारी निदेशक ने परियोजनाओं को नियमों के मुताबिक विचार विमर्श और मंजूरी के लिए संचालक परिषद के सामने रखे बिना उसे मंजूर कर लिया. परिषद में राज्य के मुख्य सचिव और वित्त, योजना, कृषि और जल संसाधन विभागों के अधिकारी थे. यह भी आरोप है कि निविदाओं को बढ़ी हुई दरों पर मंजूर किया गया लेकिन अजीत ने आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है.