महाराष्ट्र सरकार एक ऐसी नीति तैयार करने के बारे में सोच रही है जिससे मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को आशियाने की कीमत चुकानी होगी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, 'हमने मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को मुफ्त आवासीय सुविधा देने का दुर्भाग्यपूर्ण फैसला किया था. अब उस योजना को बरकरार रखना मुश्किल है. हम ऐसी नीति तैयार करने पर विचार कर रहे हैं जिससे झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों को आवासीय सुविधा के लिए भुगतान करना होगा.'
मिल में काम करने वालों के लिए जिस तरह की नीति है उसी तर्ज पर मलिन बस्तियों में रहने वालों के लिए भी नीति तैयार की जाएगी. मिल में काम करने वाले श्रमिकों के लिए बनाई गई नीति के तहत उन्हें काफी कम कीमत पर आवासीय सुविधा मुहैया कराई जाती है जिसका आधार 'न नफा - न नुकसान' है. महाराष्ट्र आवासीय एवं क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने जून में 6,925 मिल कामगारों को सब्सिडी वाली दर पर काफी कम कीमत के मकान उपलब्ध कराए थे.
जनवरी में सरकार ने मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को नि:शुल्क आवासीय सुविधा देने का फैसला किया था. चव्हाण ने कहा, 'मुंबई में करीब 14.6 लाख लोग मलिन बस्तियों में रहते हैं. यदि हम बांद्रा कुर्ला कॉप्लेक्स इलाके की झुग्गी-बस्तियों का मामला लें तो हर एक स्लम करीब एक करोड़ रुपए कीमत की है. इस इलाके की कीमत ही यही है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने उन्हें मुफ्त आवासीय सुविधा देने का फैसला किया.'