महाराष्ट्र सदन घोटाले और मनी लांड्रिंग के मामले में गिरफ्तार एनसीपी नेता छगन भुजबल ने रिश्वत की रकम को महाराष्ट्र एजुकेशन ट्रस्ट (MET) के ऑफिस में भी छिपाया था.
'मुंबई मिरर' की खबर के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय भुजबल और उनके पूर्व कर्मचारी अमित बिराज से रिश्वत की राशि की प्राप्ति के बारे में, उसके भंडारण और हवाला ऑपरेटर्स को भेजी गई रकम के बारे में विस्तार से सवाल करने और पूरी प्रक्रिया के बारे में जानने की तैयारी कर रही है. ईडी की पूरे घोटाले को रिक्रिएट करने की भी योजना है.
'गुनाह की गंगोत्री'
एक सूत्र के अनुसार छगन भजुबल गुनाह की गंगोत्री है, यानी जहां से क्राइम की शुरुआत होती है. जबकि समीर ने रिश्वत के रूप में मिली रकम को वैध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
जांचकर्ताओं ने कहा, मंबई के बांद्रा में भुजबल परिवार द्वारा चलाया जा रहा एजुकेशन ट्रस्ट एनसीपी नेता के अनैतिक कार्यों की मांद है.
भुजबल और बिराज से एक साथ पूछताछ
बिराज और भुजबल से पूछा जाएगा कि कैसे उन्होंने लेदर के बैग में पैसे भरे और नोटों को गिनने में किस प्रकार मशीन की मदद ली गई? बिराज ने खुलासा किया था कि ऑफिस की नौवीं मंजिल से नोटों से भरे चमड़े के कई बैग को ले जाया गया, जिसमें हर बैग में एक करोड़ रुपये थे.
चाचा-भतीजे से उगलवाए जाएंगे राज
महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और उनके भतीजे (समीर) से ईडी ज्वांइट पूछताछ करेगी. चाचा-भतीजे दोनों पूर्व में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री के कार्यकाल के दौरान ठेकेदारों से रिश्वत मांगने के आरोप में जेल में हैं.
घोटाले की पूरी प्रक्रिया के बारे में पूछताछ
बिराज की मौजूदगी में पूर्व उपमुख्यमंत्री से पूरी प्रक्रिया के बारे में सवाल-जवाब किए जाएंगे. उनके जवाबों से अब तक की पूछताछ में अन्य लोगों से जो भी सामने आया है, उससे मिलान किया जाएगा. पूछताछ से सामने आएगा कि हवाला ऑपरेटर्स और कोलकाता की उस फर्म के जवाबों में कितनी समानता हैं, जहां नकदी भेजा गया था.
भुजबल ने मांगा कंबल और गद्दा
सोमवार रात को गिरफ्तार किए गए छगन भुजबल को ईडी के दफ्तर में जमीन पर सोने में तकलीफ हुई. उन्होंने कंबल और गद्दे की मांग रखी. इस प्रकार के कुछ सामानों को वर्ली में स्थित उनके घर से लाया गया. यहां उन्हें कुछ दवाई भी दी गईं.
एक करीबी सहयोगी ने कहा कि ईडी के दफ्तर में हम उन्हें खाना देने में समर्थ होंगे, लेकिन एक बार जब वो ऑर्थर रोड जेल में चले जाएंगे, तो चीजें बदल जाएंगी. इससे अच्छा है कि साहब खुद को बीमार बताएं और उन्हें अस्पताल में रखा जाए.