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एयरपोर्ट के निजीकरण के खिलाफ एयरपोर्ट अथॉरिटी के सदस्य अन्ना हजारे की शरण में

सरकार को चार और राष्ट्रीय हवाई अड्डों का निजीकरण रोकने के अपने प्रयासों में विफल रहने के बाद एएआई कर्मचारी यूनियन ने अब भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे से मदद की गुहार लगाई है.

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अन्ना हजारे (फाइल फोटो)
अन्ना हजारे (फाइल फोटो)

सरकार को चार और राष्ट्रीय हवाई अड्डों का निजीकरण रोकने के अपने प्रयासों में विफल रहने के बाद एएआई कर्मचारी यूनियन ने अब भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे से मदद की गुहार लगाई है.

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एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एम्प्लाइज यूनियन के नेताओं ने चार और सरकारी हवाई अड्डों को निजी कॉरपोरेट को सौंपने के सरकार के प्रयासों के खिलाफ अपनी लड़ाई में मदद के लिए पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में जाकर हजारे से मुलाकात की. संस्था से जुड़े एक सूत्र ने बताया हवाई अड्डों के निजीकरण के खिलाफ अपनी लड़ाई में समर्थन के लिए हमने पिछले सप्ताह अन्नाजी से मुलाकात की. हमने उन्हें सूचित किया कि किस प्रकार इन हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण तथा विकास कार्य में 5000 करोड़ रुपये के सरकारी धन के निवेश के बावजूद सरकार इन्हें निजी कॉरपोरेट को सौंपने की तैयारी में है .

सूत्र ने दावा किया, हमने उन्हें यह भी बताया कि यूपीए शासन के कार्यकाल में दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों का निजीकरण किस प्रकार एक बड़ा घोटाला था और कैसे यह सरकार भी वही कुछ करने जा रही है. सूत्रों ने बताया कि हजारे ने बैठक के दौरान धैर्य के साथ नेताओं की बात सुनी जो करीब 15 मिनट तक चली. उन्होंने हवाई अड्डों के निजीकरण से संबंधित जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराने को कहा ताकि वह खुद इसकी समीक्षा कर सकें.

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सूत्रों ने बताया, हजारे ने नेताओं से यह भी कहा कि वह इस मुद्दे का अध्ययन करेंगे और यह देखेंगे कि क्या इसे विवादास्पद भूमि विधेयक के खिलाफ उनके आंदोलन के साथ लिया जा सकता है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी 2012 की रिपोर्ट में उन शर्तो की आलोचना की थी जिनमें दिल्ली हवाई अड्डे का 2005 में निजीकरण करने के लिए जीएमआर की अगुवाई वाले कंसोर्टियम के पक्ष में फेरबदल किया गया.

सरकार ने हाल ही में चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद और जयपुर हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए निविदा तारीख को बढ़ाकर 26 मई तक कर दिया था. लेकिन यूनियन अपने सर्वाधिक यातायात वाले हवाई अड्डों को निजी हाथों में सौंपे जाने के खिलाफ है. उसका कहना है कि इस कदम से सरकारी राजस्व में और कमी आएगी तथा बड़े पैमाने पर लोगों की छंटनी की जाएगी.

इनपुट-भाषा

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