शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने मुंबई के प्रदूषण को लेकर शिंदे सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राज्य में पानी की कमी है. ऐसे में सड़कों पर पानी डालकर प्रदूषण को नियंत्रित करना हास्यास्पद है. साथ ही सड़कों के निर्माण का टेंडर कैंसिल किए जाने पर भी उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोला. दरअसल, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने मुंबई में 212 सड़कों का निर्माण कर रही कंपनी रोडवे सॉल्यूशंस इंडिया इंफ्रा लिमिटेड का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया है.
वायु प्रदूषण को लेकर आदित्य ठाकरे ने शिंदे सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि प्रदूषण एक गंभीर समस्या है और मुंबई में धूल की समस्या बढ़ गई है. इसका कारण निर्माण है. मुंबई में जहां काम चल रहा है, वहां स्प्रिंकलर, हरा कपड़ा है या नहीं, मुझे दिखाओ. सड़कों को धोने के लिए हजारों टैंकर कोई समाधान नहीं है. हमें निर्माण पर नियंत्रण रखना होगा. ये हजारों टैंकर पानी कहां से लाएंगे? राज्य में पानी की कमी है. सड़क पर पानी डालकर प्रदूषण को नियंत्रित करना हास्यास्पद है.
वहीं, सड़कों का टेंडर कैंसिल होने पर आदित्य ने कहा कि सरकार सिर्फ कॉन्ट्रेक्टर के जरिए समस्या का समाधान करती है. BMC ने कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर दिया है, अब 212 सड़कों के लिए फिर से टेंडर आमंत्रित करने की प्रक्रिया की जाएगी.
आदित्य ने कहा कि वह पिछले 11 महीने से यह मुद्दा उठा रहे हैं. कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद मुंबई में कोई काम शुरू नहीं हुआ. मुख्यमंत्री शिंदे ने सड़कों के बारे में झूठ बोला. उन्होंने 5000 करोड़ रुपये के ठेके दिए और बाद में उन्हें रद्द कर दिया. फिर उनमें 6000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की. इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने से 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि बरसात के बाद सड़क निर्माण का काम शुरू होना है, लेकिन कोई काम नजर नहीं आ रहा है और 50 सड़कें भी पूरी नहीं हो सकी हैं.
वहीं, भाजपा के पूर्व नगरसेवक मकरंद नार्वेकर ने बीएमसी द्वारा ठेकेदार का कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि जैसा कि सोमवार को बीएमसी को लिखे मेरे पत्र में कहा गया है, मैं फिर दोहराता हूं कि बीएमसी को न केवल मुंबई, बल्कि महाराष्ट्र के सभी विभागों से ठेकेदार को स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट करना चाहिए. बीएमसी को ठेकेदार से 52 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि वसूलना शुरू करना चाहिए. मैं मांग करता हूं कि बीएमसी को ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और ठेकेदार के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की जानी चाहिए.