महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे गुरुवार को 'मुंबई तक' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर बड़ा दावा किया. आदित्य ठाकरे ने कहा, 'सीएम एकनाथ शिंदे ने मतोश्री आकर हमारे सामने रोते हुए कहा कि मुझे बीजेपी के साथ गठबंधन करने दो, वरना मुझे सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा, यह मेरी जेल जाने की उम्र नहीं है.'
लालच देकर तोड़ी पार्टी
आदित्य ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे की सर्जरी हुई और वह खराब दौर से गुजर रहे थे, तब एकनाथ शिंदे ने हमारे विधायकों को लालच देकर पार्टी को तोड़ने की साजिश रची. आदित्य ने कहा कि 'यहां तक, कुछ विधायकों ने भी हमें बताया कि एकनाथ शिंदे अक्सर गायब रहते हैं और अपने फार्महाउस पर जाते रहते हैं. उनका फोन नहीं लग रहा है. साथ ही वह कई विधायकों को पैसे भी दे रहे हैं. उसकी जांच होनी चाहिए. अगर वह दिल्ली या अहमदाबाद जा रहे हैं.'
बीजेपी पर निशाना
आदित्य ने बीजेपी का नाम लिए बगैर हमला करते हुए कहा, 'हमारा हिंदुत्व हिंसक नहीं है. हम गायों को नहीं काटते और राजनीति के लिए दंगे नहीं भड़काते, जैसा कि उत्तर प्रदेश में हाल ही में एक घटना हुई थी. हम सभी जानते हैं कि हिंसक हिंदुत्व का इस्तेमाल चुनावी राजनीति के लिए कौन कर रहा है. महाराष्ट्र भाजपा के पास अभी सभी आयातित नेता हैं. मुझे बीजेपी के वो पुराने नेता नहीं दिखते जिन्होंने पार्टी के लिए अपना पसीना और खून दिया.'
भाई का किया जिक्र
आदित्य ने कहा कि पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के संबंधों में एक शालीनता और सौम्यता होती थी, लेकिन हमने हाल के दिनों में राजनीति में उस संस्कृति को खो दिया है. पूर्व कैबिनेट मंत्री आदित्य ने कहा कि अगर मैंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश नहीं किया होता तो कोविड संकट के दौरान हमने प्रशासन को संभालने के लिए जिस तरह का काम किया, हमारी उस क्षमता के बारे में लोगों को कैसे पता चलता.
भाई का जिक्र करते हुए आदित्य ने कहा, 'तेजस ठाकरे अपने नेचर ट्रेल्स में व्यस्त हैं और उन्होंने कई प्रजातियों की खोज की है. सबसे अच्छी बात यह है कि वह अपने शोध के दौरान जानता है कि कौन क्या है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि वह काम करने के लिए राजनीति में आना चाहते हैं.'
शिंदे के पास अपने हैलीपैड
सीएम शिंदे पर निशाना साधते हुए आदित्य ने कहा, 'अगर सीएम एकनाथ शिंदे कहते हैं कि उनके ऑटोरिक्शा ने मर्सिडीज को पीछे छोड़ दिया है, तो मैं उनसे पूछता हूं कि उन्होंने हमारी तिपहिया वाली ऑटोरिक्शा सरकार को क्यों छोड़ा. यह अच्छी बात है कि वह खुद को एक ऑटोरिक्शा चालक बताते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से ये वही हैं जिनके गांवों में सड़कें नहीं हैं लेकिन अपने लिए दो हेलीपैड हैं.'