विज्ञापन विवाद के बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को पालघर में सरकार द्वारा आयोजित 'शासन आपलिया दारी' कार्यक्रम (आपके द्वार पर प्रशासन) में एक साथ मंच साझा किया. कार्यक्रम के दौरान शिंदे ने अपने भाषण में फडणवीस के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करते हुए कहा, 'ये फेविकोल का मजबूत जोड़ है, टूटेगा नहीं'. उन्होंने दोहराया कि कई लोग उन्हें 'जय-वीरू' या 'धर्म-वीर की जोड़ी' कहते हैं क्योंकि वे वर्षों से साथ काम कर रहे हैं. शिंदे ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह सरकार कुर्सी की लालच में नहीं बल्कि हिंदुत्व की विचारधारा, बालासाहेब ठाकरे और अटल बिहारी वाजपेयी की आस्था के कारण बनाई है.
इसके बाद डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनका गठबंधन इतना कमजोर नहीं है कि एक ऐड पर होने वाले मामूली विवाद के कारण उसे तोड़ दें. उन्होंने बताया कि जब एक मीडियाकर्मी ने उनसे एक कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि हमारी यात्रा अभी से नहीं बल्कि पिछले पच्चीस वर्षों से है. फडणवीस ने अपने भाषण के अंत में कहा कि विपक्ष कितना भी हमें अलग करने की कोशिश करे और बेईमानी करे, लेकिन हम आम लोगों की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध हैं, उनके जीवन में सामाजिक और आर्थिक विकास लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
विज्ञापन विवाद छिड़ने के बाद दोनों नेताओं ने अलग-अलग कार्यक्रम किया था और दोनों ही एक-दूसरे के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे. हालांकि अगले दिन दोनों ने मुंबई में सह्याद्री गेस्ट हाउस में किसानों के साथ राज्य में गन्ने की कीमत और उनके मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक की थी. सूत्रों के मुताबिक सह्याद्री गेस्ट हाउस में शिवसेना सांसद और सीएम शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के साथ सीएम और डिप्टी सीएम ने बंद कमरे में बैठक भी की थी. वैसे गठबंधन में दरार की सुगबुगाहट तब शुरू हुई जब जब दोनों पक्षों के स्थानीय नेताओं ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर श्रीकांत शिंदे के कल्याण के लोकसभा क्षेत्र की सीट पर दावा करना शुरू कर दिया. हालांकि, श्रीकांत ने बैठक के बाद मीडिया से इन दावों का खंडन किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के बीच सब कुछ ठीक चल रहा है.
पिछले दिनों शिंदे सरकार का एक विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित किया था. इसमें लिखा था-राष्ट्र में मोदी, महाराष्ट्र में शिंदे सरकार. इस विज्ञापन में ऊपर शिवसेना का चुनाव चिह्न तीर-कमान भी है. इसमें पीएम मोदी और सीएम शिंदे की तस्वीर थी लेकिन न तो शिवसेना संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे और न ही डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की फोटो नहीं थी. इसी के बाद विवाद छिड़ गया था. विज्ञापन में एक सर्वे के जरिए यह भी दावा किया गया था कि एकनाथजी शिंदे को महाराष्ट्र की 26.1 प्रतिशत जनता फिर से मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहती है और देवेंद्र फडणवीस को 23.2 फीसदी जनता मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहती है.
विज्ञापन के कारण जब शिंदे-फडणवीस गठबंधन पर सवाल उठने लगे तो शिंदे गुट को बैक फुट पर आना पड़ा. अगले ही दिन शिंदे गुट ने एक और विज्ञापन जारी किया है. इसमें शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे और वरिष्ठ नेता आनंद दीघे की तस्वीरों को जगह दी गई. इसके अलावा सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के फोटो भी लगाए गए और दोनों को राज्य के विकास के चेहरे के रूप में दिखाया गया.
ऐड विवाद बढ़ने के एक दिन बाद एक नया विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें शिंदे और फडणवीस को एकसाथ दिखाया गया, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ. इसके बाद बयानबाजी शुरू हो गई. बीजेपी सांसद अनिल बोंडे ने बुधवार को सीएम शिंदे पर निशाना साधते हुए कह दिया कि मेंढक कितना भी फूल जाए लेकिन हाथी नहीं बन सकता. इस पर शिंदे के विधायक संजय गायकवाड़ ने पलटवार किया कि बीजेपी के पूर्व के मंत्रियों को उनकी पार्टी के “50 टाइगर्स” की वजह से ही कैबिनेट में जगह मिल सकी है.