पूर्व मंत्री छगन भुजबल के बाद अजित पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे अजीत पवार एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और पार्टी के बड़े नेता हैं. एनसीपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच रुकने का नाम नहीं ले रही है. भुजबल के बाद 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले की जांच का आदेश राज्य सरकार ने दिया है. इस आदेश के बाद एनसीपी के दागी नेताओं में बेचैनी बढ़ गई है.
हाई कोर्ट के कहने जांच समिति गठित
हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. सरकार ने पुणे के मुख्य जल विद्युत् अभियंता पांसे के अध्यक्षता में समिति बनाई है. समिति अगले दो महीने में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. जांच समिति कुल 189 परियोजनाओं में पहले 48 योजनाओं की जांच करेगी. इनमें कुल 75.6 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है. जिन परियोजनाओं की जांच होनी है उनमें अमरावती विभाग की 33, नागपुर विभाग की 3, मराठवाड़ा के 11 और तापी की एक योजना शामिल है.
एनसीपी के दागी नेताओं में बढ़ी बेचैनी
अजित पवार एनसीपी के दूसरे सबसे बड़े नेता हैं. उनके बाद इस मामले एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे की जांच होने की भी संभावना है. पवार ने साल 2007 से 2013 के बीच 189 सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. इनमें से 48 परियोजनाओं के काम ही शुरू नहीं हुए और उनका भुगतान ठेकेदारों को कर दिया गया. इस मामले में प्रदीप पुरंदरे ने एक जनहित याचिका औरंगाबाद खंड पीठ में दायर की थी. उसकी सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को इस मामले की जांच कर 3 माह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
पंकज भुजबल से हो चुकी है पूछताछ
इसके पहले दिल्ली में बने महाराष्ट्र सदन और मुंबई कालिना परिसर के जमीन सौदे में करोड़ों रुपए का घोटाला होने के आरोप में एनसीपी नेता छगन भुजबल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच चल रही है. उनके भतीजे पूर्व सासंद समीर भुजबल को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार भी किया है. उनके बेटे पंकज भुजबल से इसी मामले में लंबी पूछताछ चल रही है. छगन भुजबल से भी दोबारा पूछताछ की जा सकती है.