महाराष्ट्र में सरकार पर सस्पेंस के बीच सियासी सरगर्मी जारी है. एक तरफ जहां एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के घर जाकर उनसे मुलाकात की तो वहीं दूसरी तरफ शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना के पास बीजेपी के बिना भी सरकार बनाने के आंकड़े हैं.
इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र की सियासत पर तंज कसा है. ओवैसी ने कहा कि उद्धव ठाकरे दो घोड़ों पर सवारी करना चाहते हैं. जनता को मूर्ख ना बनाएं.
ओवैसी बोले- 50-50 क्या है?
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उद्धव ठाकरे अगर मुख्यमंत्री पद चाहते हैं तो दो घोड़ों पर सवारी नहीं कर सकते. ऐसा लगता है कि उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री मोदी से घबरा गए हैं. वहीं शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के ढाई-ढाई साल सीएम पद पर रहने वाली बात पर भी एआईएमआईएम अध्यक्ष ने निशाना साधा. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह 50-50 क्या है, क्या यह कोई नया बिस्किट है. उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम ना तो शिवसेना का समर्थन करेगी और ना ही बीजेपी का समर्थन करेगी.A Owaisi:What is this 50-50,is this a new biscuit?How much 50-50 will you do?Save something for Maharashtra's public.They (BJP&Shiv Sena) are not bothered about the destruction rain has caused in Satara. All they talk about is 50-50.What kind of 'Sabka Sath Sabka Vikas' is this? pic.twitter.com/Ct4DFRLnDp
— ANI (@ANI) November 3, 2019
शिवसेना-बीजेपी के बीच खींचतान
दरअसल, महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की आसानी से सरकार बन सकती है. लेकिन शिवसेना इस बार सत्ता में बराबर की भागीदारी चाहती है. शिवसेना का कहना है कि पांच साल के कार्यकाल को ढाई-ढाई साल में बांटा जाए. हालांकि बीजेपी इस फॉर्मूले पर सहमत नहीं है. सूत्रों के मुताबिक शिवसेना ने बीजेपी के सामने शर्त रखी है कि सत्ता के बंटवारे से इनकार वाले बयान पर फडणवीस सफाई दें तो आगे बात की जा सकती है.
बीजेपी तलाश रही अन्य विकल्प
वहीं शिवसेना के साथ सरकार बनाने में आ रही अड़चनों के बीच बीजेपी ने अन्य विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है. दोनों पार्टियों के बीच जारी सियासी संकट और लंबा खिंचने पर बीजेपी राष्ट्रपति शासन का भी कदम उठा सकती है. महाराष्ट्र के निवर्तमान वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के बयान से ऐसे संकेत मिलते हैं.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी पार्टी शिवसेना के साथ बातचीत जारी रख सकती है. अगर इस अवधि में बातचीत सही मुकाम पर पहुंचेगी तो फिर राष्ट्रपति शासन हटाकर सरकार बनाने का कभी भी फैसला हो सकता है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर तक है. ऐसे में अगर 9 नवंबर तक राज्य में नई सरकार का गठन नहीं होता है तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा.