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अजित पवार ने 3 महीने पहले बुलाई थी 'सीक्रेट मीटिंग', जहां से शुरू हुई NCP के टूटने की कहानी

एनसीपी के संरक्षक शरद पवार ने 11 अप्रैल को लोकसभा चुनावों के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और आगे की योजना बनाने के लिए मुंबई के बालार्ड पीयर स्थित एनसीपी कार्यालय में पार्टी नेताओं की एक बैठक बुलाई थी. उसी दिन उनके भतीजे अजित पवार ने शाम 4 बजे अलग से एक और बैठक बुलाई. यही वो दिन था, जहां से एनसीपी के टूटने की कहानी शुरू हुई.

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शरद पवार, सुप्रिया सुले और अजित पवार
शरद पवार, सुप्रिया सुले और अजित पवार

महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापठक थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले शिवसेना और अब एनसीपी दो फाड़ हो चुकी है. शिवसेना की तरह ही अजित पवार ने चाचा शरद पवार की एनसीपी पर दावा कर दिया है. वहीं शरद पवार ने पार्टी पर अपना हक जताया है. चाचा-भतीजे के बीच इस सियासी जंग की बिसात दो-चार दिन में नहीं, बल्कि महीनों पहले बिछाई जा चुकी थी. और ये सब शुरू हुआ 11 अप्रैल 2023 को. 

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दरअसल, 11 अप्रैल को एनसीपी के संरक्षक शरद पवार ने लोकसभा चुनावों के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और आगे की योजना बनाने के लिए मुंबई के बालार्ड पीयर स्थित एनसीपी कार्यालय में पार्टी नेताओं की एक बैठक बुलाई थी. दो-तीन घंटे से ज्यादा चली बैठक में राज्य और राज्य के बाहर भी बीजेपी की स्थिति का जायजा लिया गया.

इस बैठक के बाद उसी दिन उनके भतीजे अजित पवार ने शाम 4 बजे अलग से एक और बैठक बुलाई. इस बैठक में अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, धनजय मुंडे, अनिल देशमुख, जयंत पाटिल, दिलीप वाल्से, छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ और कुछ अन्य नेता शामिल हुए.

अजित की बैठक में इन दो मुद्दों पर हुई चर्चा

जानकारी के मुताबिक बैठक में दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई. पहला ये कि कैसे केंद्रीय एजेंसियां खासकर ईडी का शिकंजा उन पर कसा हुआ है. बैठक में चिंता जताई गई कि अगर एक-एक कर सभी लोग ईडी के घेरे में आ गए तो पार्टी को चलाने वाला कोई नहीं बचेगा. कुछ नेताओं द्वारा यह भी कहा गया कि कोई भी ये न सोचें कि वे ईडी की जांच के दायरे में नहीं हैं. आने वाले समय में उन पर भी ईडी का शिकंजा कस सकता है.

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अजित की बैठक में दूसरा मुद्दा एनसीपी के संरक्षक शरद पवार के बारे में था. बताया गया है कि बैठक में चर्चा हुई कि शरद पवार की उम्र काफी हो चुकी है और इसलिए किसी भी आपातकालीन स्थिति में या अगर उन्हें कुछ होता है तो पार्टी को नेतृत्व संकट का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए और अजित पवार को महाराष्ट्र का प्रभार दिया जाना चाहिए. आखिर में यह निर्णय लिया गया कि अजित पवार को सुप्रिया सुले से बात करनी चाहिए और उन्हें शरद पवार से बात करने के लिए कहना चाहिए.

सुप्रिया सुले को दी गई थी बैठक की जानकारी

इसके बाद अजित पवार ने सुप्रिया सुले को उपरोक्त बैठक में हुई चर्चा के बारे में जानकारी दी. सुले ने बाद में उन्हें बताया कि उन्होंने शरद पवार से बात की है और उन्होंने इन नेताओं द्वारा उठाए गए दो मुद्दों पर विचार करने के लिए 2 से 3 दिन का समय मांगा है. इसके लगभग एक हफ्ते के बाद इन नेताओं को अजित पवार ने फिर से बैठक के लिए बुलाया, लेकिन इस बार अनिल देशमुख और जयंत पाटिल को बैठक से बाहर रखा गया. अजित पवार ने उन्हें बताया कि सुप्रिया ने अभी तक यह नहीं बताया है कि शरद पवार ने उठाए गए 2 मुद्दों के बारे में क्या सोचा है.

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शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल पर कस दिया था तंज!

बताया गया है कि इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि अजित पवार को सीधे शरद पवार से मिलना चाहिए और उनसे इन नेताओं के द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में बात करनी चाहिए. इसके बाद 10 नेताओं ने शरद पवार से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की. लेकिन जैसे ही शरद पवार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को देखा तो उन्होंने प्रफुल्ल पटेल पर तंज कसा और कहा, "अरे! आप अभी भी यहां हैं, मुझे लगा कि अब तक आप चले गए होंगे (और भाजपा में शामिल हो गए होंगे).

इस्तीफा देने से पहले अजित पवार से मिले थे शरद पवार

जानकारी के मुताबिक इन सभी नेताओं ने एक बार फिर शरद पवार को अपनी चिंताएं बताईं, जिन पर 11 अप्रैल को अजित पवार के घर पर चर्चा हुई थी. इस पर फिर से शरद पवार ने फिर मांगा कुछ समय. 1 मई को शरद पवार अपनी पत्नी प्रतिभा पवार और सुप्रिया सुले के साथ अजित पवार से मिले. शरद पवार ने उन्हें जानकारी दी कि वह अगले दिन अपने इस्तीफे की घोषणा करेंगे. दरअसल, पार्टी नेताओं ने पहले ही सुझाव दिया था कि सुप्रिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए और अजित को महाराष्ट्र के मामले देखें. शरद पवार की इस बात पर अजित पवार सहमत हो गए.

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शरद पवार के इस्तीफा वापसी ने नाराज हो गए थे अजित

2 मई को शरद पवार ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी. लेकिन पार्टी के अन्य नेताओं ने खुले मंच से मीडिया में आकर शरद पवार से इस्तीफा वापस लेने की मांग शुरू कर दी. क्योंकि उन्हें ये नहीं पता था कि शरद पवार ने अजित पवार से बातचीत कर ही इस्तीफा दिया है. बाद में पवार ने यह कहते हुए अपना फैसला वापस ले लिया कि कैसे कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मजबूर किया है. इन सब घटनाओं से नाराज होकर अजित पवार ने फिर 10 बागी नेताओं की बैठक बुलाई और उन्हें बताया कि एक दिन पहले ही परिवार के बीच क्या बातचीत हुई थी.

अजित गुट की मई में ही बीजेपी से शुरू हो गई थी बातचीत

जानकारी के मुताबिक इसके बाद मई में अजित पवार ने प्रफुल्ल पटेल के साथ मिलकर बीजेपी 'आलाकमान' के साथ बातचीत शुरू की. साथ ही देवेन्द्र फड़नवीस को चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए कहा गया. इस बीच जब शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया गया तो बीजेपी के साथ बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी. वहीं दिन बीतते गए और अजित पवार खेमे में बीजेपी के साथ जाने की चर्चा होती रही. आखिरकार 30 जून को इन 10 नेताओं की अंतिम बैठक हुई और शिंदे फड़नवीस सरकार में शामिल होने की योजना को अंतिम रूप दिया गया. इसके ठीक दो दिन बाद अजित पवार सहित 9 एनसीपी नेता एनसीपी से बागी हो गए और शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ले ली.

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